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गोरखपुर डबल मर्डर: सात दिन, सौ मोबाइल नंबर और नतीजा सिफर, आखिर कहां छिपा है कातिल

अपराध समाचार

गोरखपुर: गीता वाटिका के पास हुए चर्चित गोरखपुर डबल मर्डर केस को सात दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की जांच अभी भी उसी मोड़ पर खड़ी है जहां से शुरू हुई थी. कातिल ने वारदात को इतनी सफाई से अंजाम दिया है कि मौका-ए-वारदात से न तो कोई ठोस सुराग मिला है और न ही कोई तकनीकी कड़ी हाथ लगी है. फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और क्राइम ब्रांच की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक पुलिस को ऐसा एक भी प्रमाण नहीं मिला जो सीधे तौर पर किसी संदिग्ध की पहचान करा सके. एक सप्ताह की लंबी भागदौड़ के बाद भी पुलिस की सभी टीमें अंधेरे में ही हाथ-पांव मार रही हैं.

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सुनियोजित साजिश और हथौड़े का रहस्य

पुलिस की शुरुआती जांच कमरे से बरामद उस हथौड़े पर टिकी थी जिससे शांति देवी और उनकी बेटी विमला की हत्या की गई थी. जांच अधिकारियों को उम्मीद थी कि इस हथियार से उंगलियों के निशान या हथेली के इम्प्रेशन मिल जाएंगे, लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया. फॉरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार, हत्यारा पूरी तैयारी के साथ आया था. उसने हथौड़े को पहले ही कपड़े से लपेट रखा था ताकि फिंगरप्रिंट का कोई नामोनिशान न रहे. यह इस बात का साफ संकेत है कि यह हत्या आवेश में आकर नहीं, बल्कि एक सोची-समझी साजिश के तहत की गई थी, जिसे पुलिस अब तक सुलझा नहीं सकी है.

पुलिस जांच में खाली हाथ और तकनीकी विफलता

हथौड़े से सुराग न मिलने के बाद पुलिस की पूरी उम्मीद सर्विलांस टीम की रिपोर्ट पर टिकी थी. तकनीकी टीम ने घटना के वक्त उस इलाके में एक्टिव रहे 100 से अधिक मोबाइल नंबरों की लिस्ट तैयार की. इन सभी नंबरों की लोकेशन, कॉल डिटेल और मूवमेंट पैटर्न की बारीकी से जांच की गई, लेकिन निराशा यहां भी हाथ लगी. किसी भी नंबर की लोकेशन संदिग्ध नहीं पाई गई. उधर, क्राइम ब्रांच ने तीन दर्जन से ज्यादा लोगों से पूछताछ की है, जिनमें किरायेदार, पड़ोसी और पुराने विवादों से जुड़े लोग शामिल हैं. हिरासत में लिए गए संदिग्धों की कॉल हिस्ट्री और बयानों की जांच के बाद भी कातिल तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं खुल सका है.

दोहरे हत्याकांड की वह काली रात

यह पूरा मामला 23 नवंबर की रात का है, जब घोषीपुरवा मोहल्ले में रहने वाली शांति देवी और उनकी बेटी विमला की घर में घुसकर बेरहमी से हत्या कर दी गई थी. कातिल ने हथौड़े से सिर कूंचकर इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था. घटना के बाद लखनऊ में रहने वाली मृतका की बड़ी बेटी सुशीला ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. एसएसपी ने इस मामले के खुलासे के लिए पांच विशेष टीमें गठित की हैं, लेकिन फिलहाल नतीजा शून्य है. सीओ गोरखनाथ रवि कुमार का कहना है कि जांच के सभी पहलुओं पर काम चल रहा है, लेकिन कातिल की चालाकी ने पुलिस के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है.


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Siddhartha Srivastava का दैनिक जागरण, अमर उजाला, हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा जैसे समाचार पत्रों में लोकल से लेकर नेशनल डेस्क तक 18 वर्ष का कार्य अनुभव. गत पांच वर्षों से डिज़िटल पत्रकारिता | संपर्क: 9871159904

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