हेल्थ

सुखद मातृत्व की राह: महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष उपचार

सुखद मातृत्व की राह: महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय में गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष उपचार

गोरखपुर: महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय की ओपीडी में गर्भावस्था में आयुर्वेद उपचार के लिए आने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यहां प्रतिदिन 10 से 12 गर्भवती महिलाएं आयुर्वेदिक परामर्श व औषधीय उपचार के लिए पहुंच रही हैं। आयुर्वेद चिकित्सक गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में उल्टी, मिचली, दर्द सहित अन्य सामान्य समस्याओं के समाधान के लिए नियमित रूप से परामर्श और औषधीय उपचार प्रदान कर रहे हैं, जिससे मातृत्व का सफर सहज और सुरक्षित बन रहा है।

विज्ञापन

आयुर्वेद चिकित्सक की विशेष निगरानी और मार्गदर्शन

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. मनोरमा सिंह ने बताया कि गर्भवती महिलाओं की नियमित और व्यक्तिगत देखभाल सुनिश्चित करने के लिए एक अलग रजिस्टर तैयार किया गया है। इसमें प्रत्येक रोगी का पूरा विवरण दर्ज किया जाता है, और उनकी चिकित्सकीय प्रगति पर निरंतर निगरानी रखी जाती है।

  • नियमित देखभाल: प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एक अलग रजिस्टर में पूरा विवरण दर्ज कर चिकित्सा प्रगति पर निरंतर निगरानी रखी जाती है।
  • विशेषज्ञ सलाह: प्रसव का समय नजदीक आने पर संबंधित महिला को अन्यत्र अस्पताल भेज दिया जाता है, और इस दौरान उन्हें स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से सलाह लेने का मार्गदर्शन भी दिया जाता है, ताकि मातृत्व पूरी तरह सुरक्षित और सहज बना रहे।
  • अनिवार्य परामर्श: गर्भवती महिलाओं को छठवें, 12वें, 20वें, 28वें और 36वें सप्ताह में विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना अनिवार्य है।

गर्भ संस्कार और मानसिक शांति पर विशेष ध्यान

डॉ. मनोरमा सिंह के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान स्वच्छता, दिनचर्या और मानसिक संतुलन का विशेष ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। इस दौरान देर रात तक न जागना, पर्याप्त विश्राम लेना और बीमार व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना जरूरी है।

  • मानसिक स्थिरता: आयुर्वेद ‘गर्भ संस्कार’ को अत्यंत महत्वपूर्ण बताता है। ओंकार मंत्र का जाप, मधुर संगीत सुनना, प्रेरणादायक ग्रंथों का अध्ययन और सकारात्मक विचारों को अपनाना मानसिक स्थिरता में सहायक होता है।
  • योगासन का लाभ: अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, भद्रासन, त्रिकोणासन और वृक्षासन जैसे योगासन फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और रक्तसंचार सुधारने में सहायक हैं।

गर्भावस्था और अन्य समस्याओं के लिए विशेष आयुर्वेदिक औषधियां

आयुर्वेद में गर्भवती महिलाओं और अन्य स्त्री रोगों के लिए विशेष औषधीय प्रयोग किए जाते हैं।

  • वात शमन और प्रतिरक्षा: वात शमन के लिए बला तेल का प्रयोग, और प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए गुडुची घनवटी, शतावरी और अश्वगंधा का प्रयोग चिकित्सकीय परामर्श के अनुसार कराया जाता है।
  • गर्भ की स्थिरता: गर्भ की स्थिरता बनाए रखने के लिए गर्भपाल रस और अशोकारिष्ट का प्रयोग भी चिकित्सक की सलाह पर किया जाता है।
  • अन्य उपचार: आयुष विश्वविद्यालय में अनियमित मासिक चक्र और गर्भ न ठहरने का उपचार कराने भी महिलाएं पहुंच रही हैं।

हमें फॉलो करें

Priya Srivastava

Priya Srivastava

About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

नया एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल का लक, डेवलपमेंट का लिंक महाकुंभ 2025: कुछ अनजाने तथ्य… महाकुंभ 2025: कहानी कुंभ मेले की…
नया एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल का लक, डेवलपमेंट का लिंक