गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) शैक्षणिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षण और अनुसंधान (रिसर्च) के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। इनमें सबसे प्रमुख है शोध पात्रता परीक्षा-2025 (रेट) को समय पर आयोजित करने की तैयारी, जिसका परिणाम भी जल्द ही घोषित करने की योजना है। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय ने सेल्फ फाइनेंस कोर्स के संविदा शिक्षकों को शोध निर्देशक बनाने की बड़ी पहल की है, जिससे अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, गेस्ट फैकल्टी के मानदेय और अच्छा प्रदर्शन कर रहे संविदा शिक्षकों के वेतन में वृद्धि की भी तैयारी चल रही है।
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रेट-2025 का आयोजन दिसंबर अंत तक, टलेगी देरी की परंपरा
गोरखपुर विश्वविद्यालय पीएचडी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को राहत देने की योजना बना रहा है। प्रशासन ने शोध पात्रता परीक्षा-2025 (रेट) की प्रक्रिया नवंबर महीने में शुरू करने का फैसला किया है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया है कि छठ पर्व के बाद इस दिशा में तेजी से काम शुरू हो जाएगा। उनका लक्ष्य है कि रेट-2025 का आयोजन दिसंबर के अंत तक संपन्न कराकर परिणाम भी घोषित कर दिया जाए, ताकि अगले सत्र से इसकी प्रक्रिया समय पर शुरू हो सके।
गौरतलब है कि अतीत में रेट के आयोजन में लगातार देरी होती रही है; उदाहरण के लिए, सत्र 2024 की परीक्षा मार्च 2025 में और 2023 की परीक्षा जुलाई 2024 में आयोजित हुई थी। विश्वविद्यालय अब इस देरी की परंपरा को तोड़ना चाहता है और इसके लिए सभी विभागों से रिक्त सीटों का विवरण मांगा जाएगा।
संविदा शिक्षक बनेंगे शोध निर्देशक, अनुसंधान को मिलेगी गति
डीडीयू प्रशासन ने अनुसंधान के क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव करते हुए सेल्फ फाइनेंस कोर्स के संविदा शिक्षकों को शोध निर्देशक (पीएचडी सुपरवाइजर) बनाने की पहल की है। इस महत्वपूर्ण निर्णय को लागू करने के लिए एक समिति गठित की गई है, जिसकी रिपोर्ट अगले सप्ताह तक मिलने की संभावना है। यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि विश्वविद्यालय में ऐसे संविदा शिक्षकों की संख्या काफी है जिनका रिसर्च क्यू-1 या क्यू-2 कैटेगरी जर्नल में प्रकाशित हो चुका है या उनके नाम पर पेटेंट है, लेकिन वर्तमान में वे केवल सह-पर्यवेक्षक की भूमिका तक ही सीमित थे।
कुलपति प्रो. टंडन ने बताया कि इस कदम से सेल्फ फाइनेंस कोर्सेज के छात्र भी पीएचडी कर सकेंगे और लगभग 100 संविदा शिक्षक शोध निर्देशक के रूप में कार्य शुरू करेंगे। विश्वविद्यालय एनआईआरएफ (NIRF) और इंटरनेशनल रैंकिंग में सुधार पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जहां शोध और पेटेंट को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है।
गेस्ट फैकल्टी का मानदेय और संविदा शिक्षकों का वेतन बढ़ाने की तैयारी
विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षण स्टाफ के प्रबंधन और बेहतर प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने पर भी जोर दे रहा है। इसके तहत डीडीयू में नियुक्त गेस्ट फैकल्टी का मानदेय बढ़ाया जाएगा। वर्तमान में गेस्ट फैकल्टी को अधिकतम 31 हजार रुपये मासिक या 600 रुपये प्रति लेक्चर का मानदेय मिलता है, जिसे समय के अनुसार कम माना जा रहा है। मानदेय में वृद्धि की योजना इसलिए बनाई जा रही है ताकि विश्वविद्यालय अच्छे गेस्ट फैकल्टी को आकर्षित कर सके, जो कम मानदेय के कारण संस्थान छोड़कर चले जाते थे।
इसके लिए गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट नवंबर के पहले हफ्ते में प्रस्तावित वित्त समिति की बैठक में रखी जाएगी और मंजूर होने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही, अच्छा प्रदर्शन कर रहे संविदा शिक्षकों (इंजीनियिरिंग, फार्मेसी, एग्रीकल्चर में ₹57,700; अन्य स्ववित्तपोषित में ₹40,000) को भी प्रोत्साहन के तौर पर वेतन वृद्धि (इंक्रीमेंट) देने पर विचार किया जा रहा है।