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एम्स गोरखपुर की ‘प्रोजेक्ट उम्मीद’ पहल: 21 स्कूलों में नशा-मुक्त साथी और मार्गदर्शक तैयार

एम्स गोरखपुर की 'प्रोजेक्ट उम्मीद' पहल: 21 स्कूलों में नशा-मुक्त साथी और मार्गदर्शक तैयार

गोरखपुर: विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एम्स गोरखपुर के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग द्वारा ‘प्रोजेक्ट उम्मीद (Project UMEED)’ के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम और पोस्टर प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों और किशोर साथियों को मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने तथा विशेष रूप से तंबाकू सहित अन्य पदार्थों की लत को रोकने के लिए सशक्त बनाना है।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के ‘इंटरमीडिएट ग्रांट स्कीम’ के तहत समर्थित इस कार्यक्रम को जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण, गोरखपुर के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें 21 विद्यालयों से कुल 63 प्रतिभागियों (दो विद्यार्थी-एक बालक, एक बालिका- और एक शिक्षक प्रति स्कूल) ने ‘नशा-मुक्त साथी’ एवं ‘नशा-मुक्त मार्गदर्शक’ के रूप में भाग लिया।

21 विद्यालयों के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण

इस महत्वपूर्ण आयोजन में 21 विद्यालयों से शामिल हुए ‘नशा-मुक्त साथी’ (पीयर लीडर्स) अपने सहपाठियों में नशे की प्रवृत्तियों, तनाव या व्यवहारिक परिवर्तनों की पहचान कर उनमें जागरूकता फैलाएंगे और उन्हें सकारात्मक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे। वहीं, ‘नशा-मुक्त मार्गदर्शक’ (टीचर मेंटर्स) विद्यालय स्तर पर समन्वय, परामर्श और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ाव सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। एम्स गोरखपुर और जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण के इस संयुक्त प्रयास की सराहना करते हुए, डीन (एकेडमिक्स) डॉ. महिमा मित्तल और डीन (अनुसंधान) डॉ. आनंद मोहन दीक्षित ने किशोर मानसिक स्वास्थ्य में प्रारंभिक हस्तक्षेप और विद्यालयों में नशा-मुक्त वातावरण के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया।

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‘प्रोजेक्ट उम्मीद’ का लक्ष्य और ‘नशा-मुक्त स्कूल्स’ पुस्तक का विमोचन

प्रोजेक्ट उम्मीद के मुख्य अन्वेषक और आयोजन सचिव डॉ. यू. वेंकटेश ने परियोजना के उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसके अंतर्गत विद्यालय स्तर पर समुदाय-आधारित, सहपाठी-नेतृत्व वाले मॉडल तैयार किए जा रहे हैं जो नशा-निवारण और मानसिक दृढ़ता को प्रोत्साहित करेंगे। इस अवसर पर सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग द्वारा विकसित की गई ‘नशा-मुक्त स्कूल्स’ नामक पुस्तक (हिंदी एवं अंग्रेजी संस्करण) का भी विमोचन किया गया। यह पुस्तक शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ और नशा-मुक्त विद्यालय वातावरण बनाने हेतु व्यावहारिक दिशा-निर्देश प्रदान करती है। कार्यक्रम में “A School Environment Free from Tobacco, Alcohol, and Drugs” विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता भी हुई, जिसके श्रेष्ठ पोस्टरों को एम्स गोरखपुर में प्रदर्शित किया गया।

किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर प्रेरणादायक सत्र

कार्यक्रम के दौरान, मनोरोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ऋचा त्रिपाठी ने विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक प्रेरणादायक सत्र लिया। इस सत्र में प्रेरक दृष्टिकोण, तनाव प्रबंधन और आत्मविश्वास निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया, ताकि प्रतिभागी अपने साथियों का बेहतर मार्गदर्शन कर सकें। मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त), कार्यकारी निदेशक, एम्स गोरखपुर ने आयोजन टीम को बधाई देते हुए कहा कि ‘प्रोजेक्ट उम्मीद’ शिक्षा और सहभागिता के माध्यम से नशा-मुक्त समुदायों के निर्माण में एम्स गोरखपुर की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे मुख्य चिकित्सा अधिकारी, गोरखपुर डॉ. राजेश झा ने इस सहयोग को जनस्वास्थ्य कार्यों में अनुसंधान के व्यावहारिक परिवर्तन का एक मॉडल बताया। कार्यक्रम का समापन प्रमाण-पत्र वितरण, विजेताओं को सम्मानित करने और नशा-मुक्त स्कूलों के निर्माण की सामूहिक शपथ के साथ हुआ।


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Priya Srivastava

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About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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