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कपिलवस्तु के पवित्र बुद्ध अवशेषों की रूस में लगेगी प्रदर्शनी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य करेंगे नेतृत्व

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सिद्धार्थनगर के कपिलवस्तु में खुदाई से मिले पवित्र बुद्ध अवशेषों की प्रदर्शनी रूस में होने जा रही है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल 23 सितंबर को रूस रवाना होगा। जानिए कैसे ये प्रदर्शनी भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत करेगी।

सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित कपिलवस्तु के पिपरहवा स्तूप की खुदाई में मिले पवित्र रत्नों की प्रदर्शनी अब रूस के काल्मिकिया में लगाई जाएगी। यह प्रदर्शनी 24 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आयोजित होगी, जिसका नेतृत्व उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य करेंगे। इस आयोजन के लिए एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल 23 सितंबर को भारतीय वायुसेना के विमान से रूस के लिए रवाना होगा। यह जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय से सूचना अधिकारी बीएल यादव द्वारा उपलब्ध कराई गई है।

127 साल बाद भारत लौटे पवित्र अवशेष

कपिलवस्तु के ये पुरातात्विक अवशेष 127 साल बाद भारत लौटे हैं। ब्रिटिश अफसर पेपे ने 1898 में पिपरहवा में खुदाई के दौरान इन कलाकृतियों को निकलवाया था। उनके वंशज इन बौद्धकालीन अवशेषों को हांगकांग में नीलाम करने की तैयारी में थे, लेकिन केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रयासों से ‘पिपरहवा रत्न’ के नाम से मशहूर इन अवशेषों की भारत वापसी हो सकी। अब संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, 24 सितंबर से 1 अक्टूबर तक इन पवित्र अवशेषों का प्रदर्शन रूस के काल्मिकिया में आयोजित कर रहा है।

सांस्कृतिक कूटनीति का प्रभावी माध्यम

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि कपिलवस्तु अवशेषों की यह अंतरराष्ट्रीय यात्रा भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ और सांस्कृतिक कूटनीति का एक प्रभावी माध्यम बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि इससे पहले भगवान बुद्ध के अवशेषों की प्रदर्शनी थाईलैंड और वियतनाम में भी आयोजित की जा चुकी है, जिसे बड़ी सफलता मिली थी और इससे वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी थी। उन्होंने कहा कि रूस में होने वाली यह प्रदर्शनी इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाएगी और भारत की सांस्कृतिक छवि को और अधिक निखारेगी।

प्रदर्शनी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • स्थान: काल्मिकिया, रूस
  • प्रदर्शनी की तारीख: 24 सितंबर से 1 अक्टूबर
  • नेतृत्व: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
  • प्रतिनिधिमंडल की रवानगी: 23 सितंबर को भारतीय वायुसेना के विमान से
  • अवशेषों की वापसी: 127 साल बाद भारत लौटे
  • पिछली प्रदर्शनियाँ: थाईलैंड और वियतनाम में भी हो चुकी हैं।

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Siddhartha Srivastava

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Siddhartha Srivastava का आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव है. वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता. email:- siddhartha@gogorakhpur.com | 9871159904.

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