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दस साल में 7500 फीसद बढ़ गई मोबाइल मैन्चुफैक्चरिंग इंडस्ट्री

दस साल में 7500 फीसद बढ़ गई मोबाइल मैन्चुफैक्चरिंग इंडस्ट्री
दस साल में 7500 फीसद बढ़ गई मोबाइल मैन्चुफैक्चरिंग इंडस्ट्री

New Delhi: मोदी सरकार की ओर से 10 साल पहले शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया पहल’ का विनिर्माण और निर्यात से लेकर अर्थव्यवस्था से जुड़े हर क्षेत्र में जबरदस्त असर देखने को मिला है. इस पहल की सफलता का ही नजीता है कि भारत इन 10 वर्षों में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बनने में कामयाब हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मेक इन इंडिया की 10वीं वर्षगांठ के मौके पर सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखकर बताया, 2014 में जब इस पहल की शुरुआत हुई थी, तो देश में मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्टरियां थीं. अब इनकी संख्या 200 से ज्यादा हो गई हैं. इन 10 वर्षों में देश से होने वाले मोबाइल फोन निर्यात में 7500 फीसदी की शानदार तेजी दर्ज की गई है. 10 साल पहले यानी 2014 में भारत 1,556 करोड़ रुपये का मोबाइल फोन निर्यात करता था, जो बढ़कर अब 1.2 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है. आज देश में इस्तेमाल होने वाले 99 फीसदी मोबाइल फोन मेड इन इंडिया हैं यानी देश में ही बने हैं. देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए 25 सितंबर, 2014 में मेक इन इंडिया की शुरुआत हुई थी.

हर घंटे लॉन्च हुआ एक स्टार्टअप: देश में पिछले 10 वर्षों में हर घंटे एक स्टार्टअप लॉन्च हुआ. इससे स्टार्टअप की संख्या 2014 के 350 से बढ़कर 1.48 लाख हो गई है. खास बात है कि 45 फीसदी स्टार्टअप टियर-2 और टियर-3 शहरों में हैं. 2014 के बाद से अब तक एक करोड़ से अधिक पेटेंट दिए गए हैं.

एमएसएमई: 21.17 करोड़ लोगों को मिला रोजगार: मेक इन इंडिया पहल का एमएसएमई क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने में बड़ा योगदान है. उद्यम पोर्टल पर 4.91 करोड़ एमएसएमई पंजीकृत हैं. इनमें से 1.85 करोड़ इकाइयां महिलाएं चलाती हैं. खास बात है कि एमएसएमई ने 21.17 करोड़ लोगों को रोजगार दिया है.



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