एम्स गोरखपुर में अब सिर्फ ₹30 में मिलेगा रैन बसेरा, मरीजों और तीमारदारों का बोझ होगा कम
एम्स गोरखपुर ने नाइट शेल्टर शुल्क ₹75 से घटाकर ₹30 किया। दूरदराज से आए मरीजों और तीमारदारों को बड़ी राहत, 140 बिस्तरों की सुविधा।
एम्स गोरखपुर ने नाइट शेल्टर शुल्क ₹75 से घटाकर ₹30 किया। दूरदराज से आए मरीजों और तीमारदारों को बड़ी राहत, 140 बिस्तरों की सुविधा।
एम्स गोरखपुर में सोमवार से रेडियोथेरेपी के लिए ₹750 शुल्क लागू। अत्याधुनिक लीनियर एक्सीलेरेटर मशीन से किफायती दर पर कैंसर का इलाज, देश में सबसे कम शुल्क।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एम्स गोरखपुर में कहा कि भारत चिकित्सा पर्यटन का वैश्विक केंद्र बन रहा है। उन्होंने गुणवत्ता, नवाचार और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर जोर दिया।
एम्स गोरखपुर ने ‘वर्ल्ड विटिलिगो डे’ पर जागरूकता अभियान चलाया। विशेषज्ञों ने विटिलिगो के लक्षण, उपचार, मिथक और एआई की भूमिका पर जानकारी दी, बताया यह संक्रामक नहीं है।
गोरखपुर एम्स में ‘वन अर्थ, वन हेल्थ हेतु योग’ थीम पर योग सप्ताह शुरू। 15 से 21 जून तक चलेगा यह आयोजन, जिसमें एमबीबीएस छात्रों, नर्सिंग अधिकारियों और कर्मचारियों सहित सभी के लिए योग सत्र होंगे।
गोरखपुर एम्स और देवरिया मेडिकल कॉलेज के बीच रोमांचक वॉलीबॉल मुकाबले में एम्स गोरखपुर ने 3-2 से जीत हासिल की। मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता के मार्गदर्शन में हुआ आयोजन, खेल भावना को मिला बढ़ावा।
एम्स गोरखपुर के अत्याधुनिक शवगृह में पहले दो शव परीक्षण सफलतापूर्वक हुए, फॉरेंसिक मेडिसिन सेवाओं की शुरुआत। मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता के नेतृत्व में उपलब्धि।
एम्स गोरखपुर ने 5 वर्षीय बच्चे की सांस की नली से मूंगफली निकालकर जान बचाई। फेफड़ा कोलैप्स होने के बावजूद 3.40 घंटे चला सफल ऑपरेशन, अत्याधुनिक चिकित्सा का प्रमाण।
गोरखपुर: एम्स गोरखपुर ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। 30 वर्षीय, पहलाटोला निवासी एक युवक को एम्स गोरखपुर में पहली बार एमआईएस (मिनिमल इनवेसिव सर्जरी) पोस्टीरियर शाटज सेगमेंट फिक्सेशन ऑव स्पाइन विद पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन तकनीक का उपयोग करके नई जिंदगी मिली है। इस अत्याधुनिक सर्जरी से युवक की रीढ़ […]
एम्स गोरखपुर के डॉक्टरों ने जटिल सर्जरी से दो साल के बच्चे को वापस दिलाई रोशनी। बिस्तर से गिरने के बाद आंख में आ गई थी परेशानी। डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने किया सफल ऑपरेशन।
AIIMS Gorakhpur: एम्स गोरखपुर ने 32 वर्षीय युवक के गोली से क्षतिग्रस्त चेहरे का सफल पुनर्निर्माण किया। जानें कैसे डॉ. शैलेश कुमार और उनकी टीम ने जटिल सर्जरी में हासिल की सफलता।
Gorakhpur: एम्स गोरखपुर में राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम (NVHCP) के तहत तीन से पांच मार्च तक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
Gorakhpur: एम्स गोरखपुर में 12 साल से बंद मुंह वाली युवती का सफल ऑपरेशन: जानें पूरी कहानी….
ISPMMMCON 2025: एम्स गोरखपुर में प्रिसीजन मेडिसिन का पहला राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न। जानें सम्मेलन के मुख्य आकर्षण, वैज्ञानिक चर्चाएं और भविष्य की योजनाएं।
Gorakhpur: एम्स गोरखपुर में हुए एक नए शोध ने मेलाज्मा के कारणों और उसके प्रभावी इलाज को लेकर नई उम्मीद जगाई है. यह शोध त्वचा रोग विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सुनील कुमार गुप्ता के नेतृत्व में किया गया है. इस शोध में बायोकैमिस्ट्री विभाग के डॉ. शैलेंद्र द्विवेदी ने सह-अन्वेषक की भूमिका निभाई है.
Gorakhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर ने मानसिक रोग विभाग में इलेक्ट्रोकन्वल्सिव थेरेपी (ईसीटी) की सुविधा शुरू कर दी है. यह थेरेपी गंभीर अवसाद, आत्महत्या के विचार, सिज़ोफ्रेनिया, गंभीर मनोविकृति आदि मानसिक विकारों के इलाज में मददगार होगी.
Gorakhpur: एम्स गोरखपुर की फार्माकोलॉजी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. मौसुमी पाणिग्रही ने अंतर्राष्ट्रीय रोगी सुरक्षा सम्मेलन एवं फार्माकोविजिलेंस सोसायटी ऑफ इंडिया (SoPI) के 22वें वार्षिक सम्मेलन में कई पुरस्कार जीतकर संस्थान का नाम रोशन किया है. यह सम्मेलन एम्स भोपाल में आयोजित किया गया था.
Gorakhpur: एम्स गोरखपुर के डॉक्टरों ने एक बार फिर अपनी चिकित्सीय कुशलता का परिचय देते हुए 1.5 साल की बच्ची के चेहरे की जटिल प्लास्टिक सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. देवरिया जिले की रहने वाली यह बच्ची आवारा कुत्तों के हमले का शिकार हो गई थी, जिससे उसका चेहरा बुरी तरह जख्मी हो गया था.
Gorakhpur: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के ईएनटी विभाग ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. डॉक्टरों ने 14 घंटे की मैराथन सर्जरी में जीभ के कैंसर से पीड़ित एक मरीज को नई जिह्वा प्रदान की है. पूर्वांचल में इस तरह की जटिल सर्जरी पहली बार की गई है.
Gorakhpur: गोरखपुर एम्स के डॉक्टरों ने छह साल के एक बच्चे को नई ज़िंदगी दी है. बच्चा ‘एटिपिकल टेराटॉइड रैबडॉइड ट्यूमर’ (एटीआरटी) नामक एक दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित था. यह ट्यूमर इतना दुर्लभ है कि दस लाख बच्चों में से केवल एक बच्चे को होता है.