Solar Panel Installation Guide: आजकल बिजली बिल की बढ़ती कीमतें और पर्यावरण के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण लोग अपने घरों में सोलर पैनल लगवाने को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन, पीएम सूर्यघर योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana) के तहत आवेदन से लेकर सब्सिडी मिलने तक की प्रक्रिया थोड़ी जटिल लग सकती है। आइए, जानते हैं सोलर पैनल लगवाने से जुड़े आपके सभी सवालों के जवाब:
सवाल 1: सोलर पैनल लगवाने के लिए सबसे पहले क्या करना होता है और एजेंसी का चयन कैसे करें?
जवाब: सोलर पैनल लगवाने की शुरुआत PM सूर्यघर ऐप डाउनलोड करने से होती है।
- ऐप डाउनलोड करें: अपने एंड्रॉइड फोन में प्ले स्टोर से ‘PM सूर्यघर’ ऐप डाउनलोड करें। एपल ऐप स्टोर के लिए यहां क्लिक करें।
- रजिस्ट्रेशन और लॉगिन: ऐप में अपना मोबाइल नंबर दर्ज करें। OTP (वन टाइम पासवर्ड) डालकर पोर्टल पर रजिस्टर करें और लॉगिन करें।
- व्यक्तिगत जानकारी भरें: लॉगिन करने के बाद, ऐप में अपनी व्यक्तिगत जानकारी, बिजली कनेक्शन संख्या, कनेक्शन किसके नाम से है और आपके कनेक्शन की स्वीकृत क्षमता (कितने वाट का कनेक्शन है) आदि भरें।
- एजेंसी का चुनाव: जब आप ऐप पर एजेंसी विकल्प पर क्लिक करेंगे, तो आपको बहुत सारी एजेंसियों की डिटेल्स दिखाई देंगी। आपको उनकी प्रतिनिधि से बात करनी होगी।

एजेंसी का निर्णय लेते समय इन बातों पर ध्यान दें:
- कार्य अनुभव: उस एजेंसी का कार्य अनुभव क्या है?
- सेवाएं: वे इंस्टॉलेशन और भविष्य में सेवाएं कैसे देंगे?
- विश्वसनीयता: एक विश्वसनीय वेंडर चुनें, जिसकी बाजार में अच्छी छवि हो। आप ऑनलाइन रिसर्च (जैसे यूट्यूब पर उदाहरण देखना) भी कर सकते हैं।
सवाल 2: कितने वाट का पैनल लगवाना सही रहेगा और इसका निर्धारण कैसे होगा?
जवाब: यह सीधा गणित है:
- स्वीकृत लोड के अनुसार: जितने वाट का आपका बिजली कनेक्शन (लोड) स्वीकृत है, उतने ही वाट का पैनल आमतौर पर स्वीकार्य होता है।
- लोड बढ़ाना: यदि आप उससे अधिक क्षमता का पैनल लगवाना चाहते हैं, तो आपको पहले अपने बिजली कनेक्शन की स्वीकृत भार क्षमता (सेंक्शन लोड) को बढ़ाना पड़ेगा।
- वेंडर से चर्चा: यह निर्धारण आपका वेंडर (जो सोलर पैनल लगाएगा) सर्वे के दौरान आपसे चर्चा करके तय करेगा कि आपके लिए सबसे उपयुक्त क्या होगा।
सवाल 3: सोलर पैनल लगवाने में कुल कितना समय और खर्च आता है?
जवाब: कुल समय और खर्च कई बातों पर निर्भर करता है:
- समय: अनुभव के अनुसार, पूरी प्रक्रिया में लगभग दो महीने का समय लग सकता है। इसमें स्ट्रक्चर खड़ा करना, पैनल आना और नेट मीटर लगना शामिल है।
- स्ट्रक्चर और इंस्टॉलेशन: स्ट्रक्चर खड़ा करने और वायरिंग/पैनल लगाने में करीब 10-15 दिन लगते हैं।
- पैनल की उपलब्धता: चयनित कंपनी के सोलर पैनल की उपलब्धता (जैसे अडानी जैसे टॉप ब्रांड्स के पैनल आने में समय लग सकता है) पर भी समय निर्भर करता है।
- नेट मीटर इंस्टॉलेशन: सबसे ज्यादा समय नेट मीटर लगाने और उसे कैलिब्रेट करने में लगता है। यह काम मुख्य रूप से बिजली विभाग द्वारा किया जाता है, जिसमें लगभग एक महीने का समय लग सकता है, क्योंकि नेट मीटर को विभाग के केंद्रीय कंप्यूटर सिस्टम से ऑनलाइन जोड़ा जाता है।
- खर्च और सब्सिडी: खर्च आपकी पैनल क्षमता और कंपनी पर निर्भर करेगा। उदाहरण के लिए, 3 किलोवाट के कनेक्शन पर अनुमानित खर्च लगभग 2 लाख रुपये आ सकता है। इसमें से आपको 1.08 लाख रुपये की सब्सिडी मिल सकती है (68,000 रुपये केंद्र सरकार से और 40,000 रुपये राज्य सरकार से)। इस हिसाब से आपका अपना खर्च लगभग 1 लाख रुपये होगा।
सवाल 4: सोलर पैनल लगाने के बाद बिजली कैसे बनती है और क्या बिजली कटौती का असर होता है?
जवाब:
- बिजली उत्पादन: सोलर पैनल सूर्योदय से सूर्यास्त तक (लगभग 5:30 बजे सुबह से 6:30 बजे शाम तक) बिजली बनाते हैं। यह सौर ऊर्जा DC (डायरेक्ट करंट) से AC (अल्टरनेटिंग करंट) में बदलकर ग्रिड में जाती है।
- उत्पादन क्षमता: आमतौर पर एक किलोवाट का पैनल प्रतिदिन लगभग 5 यूनिट बिजली बनाता है। यदि आपके पास 3 किलोवाट का पैनल है, तो उसे न्यूनतम 15 यूनिट बिजली देनी चाहिए। उन्नत पैनल (जैसे अडानी के टॉप वेरिएंट) 17-17.4 यूनिट तक बना सकते हैं।
- बिजली कटौती का असर: हाँ, अगर ग्रिड से बिजली कट जाती है, तो सोलर पैनल उत्पादन तो करता है, लेकिन वह बिजली ग्रिड में ट्रांसफर नहीं हो पाती। इन्वर्टर DC को AC में तभी बदलता है जब ग्रिड से पावर मिल रही हो। ऐसे में, यदि दिन में 3-4 घंटे भी बिजली कटती है, तो 3-4 यूनिट बिजली का नुकसान हो सकता है, जो राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी हानि है।
सवाल 5: अगर बिजली का उत्पादन हमारी खपत से ज्यादा हो या कम, तो बिलिंग कैसे होती है?
जवाब:
- अधिक उत्पादन: यदि आपका सोलर पैनल आपकी दैनिक खपत (उदाहरण के लिए 10 यूनिट) से ज्यादा बिजली (जैसे 15 यूनिट) बनाता है, तो बची हुई 5 यूनिट बिजली नेट मीटर के माध्यम से ग्रिड में चली जाती है। यह उत्पादन आपके बिजली खाते में दर्ज होता जाएगा।
- कम उत्पादन: यदि आपका उत्पादन (जैसे 15 यूनिट) आपकी खपत (जैसे 30 यूनिट) से कम है, तो बिल में 30 में से 15 यूनिट घट जाएंगी, और आपको केवल शेष 15 यूनिट का ही भुगतान करना होगा। मासिक बिलिंग में यह समायोजित होकर आएगा।
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सवाल 6: क्या बनी हुई बिजली को स्टोर किया जा सकता है और क्या इस पर सब्सिडी मिलती है?
जवाब:
- बिजली स्टोर करना: हाँ, आप सोलर पैनल से बनी बिजली को बैटरी में स्टोर कर सकते हैं। इसके लिए आपको अतिरिक्त बैटरी सिस्टम लगवाना होगा। डीसी बिजली को एसी में बदलकर बैटरी चार्ज की जाती है, और फिर बैटरी से घर की बिजली की आपूर्ति की जा सकती है।
- सब्सिडी का नियम: यदि आप बिजली को स्टोर करने का विकल्प चुनते हैं, तो PM सूर्यघर योजना के तहत आपको सब्सिडी नहीं मिलेगी। सब्सिडी केवल उन्हीं ग्राहकों को मिलती है जो ग्रिड से जुड़े (नेट मीटरिंग) सिस्टम लगवाते हैं।
- खर्च और बचत: सब्सिडी के साथ, 3 किलोवाट के सिस्टम पर आपका शुद्ध खर्च लगभग 80 हजार से 1 लाख रुपये आता है। यदि आप हर महीने लगभग 6000 रुपये की बिजली बचाते या पैदा करते हैं, तो लगभग 3 साल में आपकी निवेश की गई राशि की भरपाई हो जाती है। सोलर पैनल की लाइफ आम तौर पर 15-20 साल होती है, जिससे आपको लंबे समय में बड़ा लाभ मिलता है।
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