सिद्धार्थनगर समाचार

सिद्धार्थनगर: नवरात्र में दुर्गा मंदिर तोड़े जाने पर भड़के सांसद पाल, विकास भवन के सामने धरना शुरू

सिद्धार्थनगर: नवरात्र में दुर्गा मंदिर तोड़े जाने पर भड़के सांसद पाल, विकास भवन के सामने धरना शुरू
सिद्धार्थनगर में नवरात्र के दौरान दुर्गा मंदिर तोड़े जाने पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विकास भवन के पास 40 साल पुराने मंदिर को ढहाए जाने से लोग भड़क गए और सांसद जगदंबिका पाल समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए।

सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में नवरात्र के पावन पर्व के दौरान एक दुर्गा मंदिर को ढहाए जाने पर बड़ा हंगामा खड़ा हो गया है। यह मंदिर विकास भवन की सरकारी बिल्डिंग की दीवार के सहारे बना हुआ था। प्रशासनिक अफसरों ने मंगलवार देर रात जेसीबी लगाकर इसे ढहा दिया और मंदिर में स्थापित मूर्तियों को पास के जमुआर नाले में प्रवाहित कर दिया। बुधवार सुबह जब लोगों ने मंदिर को टूटा देखा तो वे भड़क गए और विकास भवन में जमकर प्रदर्शन करने लगे।

खबर मिलते ही स्थानीय सांसद जगदंबिका पाल अपने समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा समझाने की कोशिश के बावजूद सांसद नहीं माने और दोपहर करीब 3 बजे हजारों लोगों के साथ धरने पर बैठ गए। सांसद ने जिला प्रशासन के इस कदम को हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। इस दौरान प्रदर्शनकारी ‘डीएम मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाते दिखे। देर शाम तक विकास भवन के पास हजारों लोग सांसद के साथ धरने पर डटे हुए हैं।

सौंदर्यीकरण कार्य के नाम पर तोड़ा गया मंदिर

जिला प्रशासन साड़ी तिराहा से विकास भवन तक सड़क के किनारे सुंदरीकरण का काम करा रहा है। इस कार्य में पाथ-वे निर्माण और रेलिंग लगाने का काम भी शामिल है। बताया जा रहा है कि यह दुर्गा मंदिर इसी रास्ते पर करीब 10 फीट चौड़ाई में आ रहा था। इसी कारण मंगलवार देर रात जेसीबी लगाकर मंदिर को ढहा दिया गया।

सुबह मंदिर स्थल पर जुटी भारी भीड़

मंदिर तोड़े जाने की खबर सुबह होते ही श्रद्धालुओं में फैल गई। सुबह होते ही बड़ी संख्या में लोग मंदिर स्थल पर जुटने लगे और सुबह 8 बजे तक वहां भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। सूचना मिलते ही एसडीएम सदर कल्याण सिंह मौर्य और एसएचओ सदर दुर्गा प्रसाद पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और भीड़ को हटाने का प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं हटे। दोपहर तक यहां हजारों की भीड़ जमा हो गई।

40 साल पुराना था मंदिर, भक्तों की टूटी आस्था

परसा महापात्र में रहने वालीं सुधा त्रिपाठी ने बताया कि उनके जन्म के समय उनके पिता ने इसी मंदिर में मन्नत मांगी थी और वह बचपन से यहां पूजा-पाठ करती आ रही हैं। जब वह भोर में रोज की तरह मंदिर की सफाई करने पहुंचीं, तो मंदिर टूटा पड़ा था और वहां से मलबा भी हटा दिया गया था। आरती देवी समेत अन्य महिलाओं ने भी मंदिर को गायब पाया। श्रद्धालुओं ने बताया कि यह मंदिर कम से कम 40 साल से यहां था और हर दिन लोग यहां पूजा करने आते थे। उन्होंने आरोप लगाया कि आज उनके विश्वास को तोड़ दिया गया है। लोगों ने प्रशासन के खिलाफ ‘डीएम मुर्दाबाद’ और ‘धर्म का अपमान बर्दाश्त नहीं’ जैसे नारे लगाए।

सांसद बोले- मंदिर तोड़ने वाला नास्तिक, सीएम से मिलेंगे

सांसद जगदंबिका पाल ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मंदिर को रात को चोरी-चुपके तोड़ा गया है। उनके पूछने पर डीएम और एसपी में से कोई भी मौके पर नहीं आया। उन्होंने इसे ‘करोड़ों लोगों की आस्था को तोड़ने का प्रयास’ बताते हुए कहा कि यह निश्चित तौर पर सरकार की छवि खराब करने की कोशिश है। सांसद पाल ने आरोप लगाया कि ‘जिसने ये मंदिर तोड़ा है, जरूर वो कोई नास्तिक होगा।’ उन्होंने इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर कार्रवाई की मांग करने की बात कही।

डीएम की सफाई: पेंटिंग का अपमान हो रहा था

वहीं, इस पूरे मामले पर डीएम डॉ. राजा गणपति आर ने अपनी सफाई दी। उन्होंने कहा कि विकास भवन की दीवार पर कुछ लोगों ने दुर्गा जी का चित्र (पेंटिंग) बनाया था। उन्होंने दावा किया कि आसपास लोग मल-मूत्र करते थे और पान खाकर थूकते थे, जिससे दुर्गा पेंटिंग का अपमान हो रहा था। डीएम ने कहा कि श्रद्धा और सम्मान की दृष्टि से ही इसे हटवाया गया है और दुर्गाजी की पेंटिंग को दूसरे स्थान पर स्थापित कराया जाएगा।

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गो गोरखपुर ब्यूरो

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