चौराहे पर खबर तारी थी। लोग चर्चा कर रहे थे। नशे की हालत में था। यहीं बैठा था। कब लुढ़क गया, कब सांसें थम गईं। किसी को पता नहीं। पुलिस को सूचना गई।
पुलिस आई। उसने देखा। युवक के प्राणपखेरू उड़ चुके थे।
कहां का था, कौन था, कुछ पता नहीं। चर्चा थी नशे की हालत में था। धूप में देर तक पड़ा रहा। शायद जान जाने की वजह यही रही।
लोगों का अनुमान सही हो सकता है। विज्ञान भी यही कहता है। बाह्य संवेदनाओं को सबसे पहले त्वचा ग्रहण करती है। मांसपेशियां और उनसे गुजरती तांत्रिकाएं ग्रहण किए संदेश मस्तिष्क को पहुंचाना बंद कर देते हैं। कड़ाके की ठंड के दिनों में प्रायः इसके दुष्परिणाम ज्यादा दिखते हैं। मस्तिष्क और अंगों के बीच का संवाद भंग हो जाता है।
लड़खड़ाते कदम, संभलना, गिरना सधी जुबान न बोल पाना आदि। मस्तिष्क के संदेशों की वाहक तंत्रिकाओं का अंगों के साथ तालमेल का अभाव इसके सबूत हैं।
अफसोस! किसी परिवार का दीपक बुझ गया। “शराब आत्मा और शरीर दोनों को मारती है”। उन्होंने कहा था। वे फकीर थे। इसकी भयावहता समझते थे। आखिर वो राष्ट्रपिता जो थे।
मदिरा के पक्ष और विपक्ष दोनों है। हैरत है एक सात्विक ने पक्ष में एक यथार्थ का चित्रण किया। एक नामचीन साहित्यकार की जीवन शैली सुनाई। साहित्यकार विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। विश्वविद्यालयीय पठन-पाठन, प्रशासनिक कार्य संपादित कर घर लौटते।
देर शाम दस्तरखान सजाते। खरीद कर लाते। अकेले जाम छलकाते। कभी किसी से साझा न करते। कोई साथ का हुआ तो आग्रह करने से बचते। महफिलों में गए तो खुद की साथ ले जाते। किसी की भावनाएं आहत न हों, इसका भरपूर ख्याल रखते। कभी किसी से उम्मीद नहीं की। न छिपाते, न बताते, न लड़खड़ाते, न असहज होते।
पूरी उम्र जी। जब तक जी शान से पी।
-
डीडीयूजीयू: बीए, बीएसी, बीसीए, बीटेक प्रवेश से जुड़ी अहम जानकारी यहां देखें
-
इंदौर की तर्ज पर संवरेगी गोरखपुर शहर की सूरत
-
शताब्दीपुरम कॉलोनी में चोरों ने दिनदहाड़े घर से बीस लाख के आभूषण उड़ाए
-
‘हाफ इयरली’ एग्ज़ाम में गोरखपुर के सिर्फ़ तीन थाने फर्स्ट डिविजन पास
-
गोरखपुर से काठमांडू के लिए एसी बस सेवा जल्द, ₹1005 होगा किराया
-
महायोजना 2031: हरियाली की शर्त पर नहीं होगा गोरखपुर का विकास
-
सांसद रवि किशन ने की अपने अंदाज़ में अपील…डाउनलोड करें यूटीएस मोबाइल ऐप
-
खेलो गोरखपुर खेलो: सीज़न वन में शहर की 70 टीमों के बीच होगी भिड़ंत
-
ऑपरेशन त्रिनेत्र: अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पनाह नहीं ले सकेंगे बदमाश
-
आपबीती: 87 साल की उम्र में भी सालती है ‘रिफ़्यूजी’ होने की वह त्रासदी