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राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर का 39वां स्थापना दिवस: बुद्ध के पदचिन्ह प्रदर्शनी का उद्घाटन

राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर का 39वां स्थापना दिवस: बुद्ध के पदचिन्ह प्रदर्शनी का उद्घाटन

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राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर का 39वां स्थापना दिवस: बुद्ध के पदचिन्ह प्रदर्शनी का उद्घाटन
राजकीय बौद्ध संग्रहालय गोरखपुर का 39वां स्थापना दिवस: बुद्ध के पदचिन्ह प्रदर्शनी का उद्घाटन

गोरखपुर: राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर ने आज, 04 मई को अपने 39वें स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन किया। इस अवसर पर ‘बुद्ध के पदचिन्ह’ विषयक एक विशेष छायाचित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया, जो भगवान बुद्ध के जीवन और यात्राओं से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों को दर्शाती है।

समारोह में द्वितीय ऑल इण्डिया फोटोग्राफी रूट्स ऑफ बुद्धिज्म के पंजीयन पोस्टर का भी विमोचन किया गया। यह फोटोग्राफी प्रतियोगिता बौद्ध धर्म की जड़ों और विरासत को कैमरे के लेंस से कैद करने का एक अनूठा प्रयास है।

इसके अतिरिक्त, भारतीय संस्कृति अभिरूचि पाठ्यक्रम के अंतर्गत आजमगढ़ (निजामाबाद) की प्रसिद्ध टेराकोटा कला पर आधारित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का भी शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला का उद्देश्य स्थानीय कला को बढ़ावा देना और प्रतिभागियों को टेराकोटा की पारंपरिक तकनीकों से परिचित कराना है।

कार्यक्रम का औपचारिक उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर जय प्रकाश सैनी, माननीय कुलपति, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गोरखपुर द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर अति विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राजवन्त राव, अधिष्ठाता, कला संकाय, दीनदयाल गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर और विशिष्ट अतिथि श्री जे0पी0 शर्मा, पूर्व संयुक्त सचिव, उ0प्र0 शासन एवं ‘बुद्ध के पद चिन्ह’ प्रदर्शनी के दानदाता/वरिष्ठ फोटोग्राफर, लखनऊ भी उपस्थित रहे।

प्रोफेसर सैनी ने अपने संबोधन में संग्रहालय के 39 वर्षों के योगदान की सराहना की और बुद्ध के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर राव ने भारतीय संस्कृति और कला के संरक्षण में संग्रहालय के प्रयासों को सराहा, जबकि श्री जे0पी0 शर्मा ने अपनी प्रदर्शनी के बारे में विचार व्यक्त किए और बौद्ध स्थलों की फोटोग्राफी के महत्व पर जोर दिया।

यह स्थापना दिवस समारोह राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर रहा, जिसने बौद्ध धर्म, कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

गो गोरखपुर

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