- बौद्ध धम्म के विकास में सम्राट अशोक का योगदान: भिक्खु चन्दिमा थेरो
- भारतीय संस्कृति संवाद से समृद्ध होती है: प्रो. राजवन्त राव
Gorakhpur: राजकीय बौद्ध संग्रहालय, गोरखपुर में भारतीय संस्कृति अभिरूचि पाठ्यक्रम के अन्तर्गत सात दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का मंगलवार को समापन हो गया. समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में नगर निगम महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव उपस्थित रहे.
व्याख्यान श्रृंखला के अंतिम दिन दो सत्रों में व्याख्यान आयोजित किए गए. प्रथम सत्र में “बौद्ध धम्म के विकास में सम्राट अशोक की भूमिका एवं योगदान” विषय पर बुद्धा धम्मा लर्निंग सेन्टर, सारनाथ के संस्थापक अध्यक्ष भिक्खु चन्दिमा थेरो ने अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक ने अपने पुत्र-पुत्री को बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा और एशिया के विभिन्न देशों में भी इसका प्रसार किया. उन्होंने जनकल्याण के साथ-साथ पशु-पक्षियों के लिए भी कार्य किए.
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दूसरे सत्र में “भारतीय संस्कृति” विषय पर कला संकाय, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) राजवन्त राव ने व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि संस्कृति संवाद से समृद्ध होती है और भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता की संस्कृति को दर्शाती है. यह समन्वयवादी और सौम्य संस्कृति है, जिसमें भगवान बुद्ध की विचारधारा का समावेश है.
अध्यक्षीय संबोधन में महापौर डॉ. डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ. यशवन्त सिंह राठौर और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संग्रहालय भारतीय संस्कृति, सभ्यता, कला, इतिहास एवं पुरातात्विक संग्रहों के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयासरत है.
समापन समारोह में 89 प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाण-पत्र वितरित किए गए. रीता श्रीवास्तव को प्रथम, दीक्षा गुप्ता को द्वितीय और बसन्त लाल को तृतीय पुरस्कार प्राप्त हुआ. ऋद्धि शर्मा व अनिमेष कुमार चतुर्वेदी को सान्त्वना पुरस्कार दिया गया.
विशेष सहयोग के लिए उदयशील, वैभव सिंह एवं रजनीकान्त मौर्य को भी सम्मानित किया गया. कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रीता श्रीवास्तव ने किया. संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवन्त सिंह राठौर ने सभी प्रतिभागियों, अभिभावकों एवं मीडिया बंधुओं को धन्यवाद ज्ञापित किया.