व्रत-त्योहार

रोचक परंपरा: जानें नेपाल में काग, कुकुर पूजन से क्यों होती है ‘तिहार’ यानी दीपावली की शुरुआत

रोचक परंपरा: जानें नेपाल में काग, कुकुर पूजन से क्यों होती है 'तिहार' यानी दीपावली की शुरुआत

गोरखपुर: पड़ोसी देश नेपाल में दीपावली का त्योहार एक महापर्व के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘तिहार’ भी कहा जाता है। यह उत्सव सामान्य तौर पर पाँच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत काग पूजा से होती है और इसका समापन भाई टीका के साथ होता है। हालाँकि, इस वर्ष तिथियों के अनुसार यह त्योहार केवल चार दिनों तक ही मनाया जाएगा, जिसके उल्लास में पूरा नेपाल डूब जाता है।

त्योहार की शुरुआत काग पूजा से और परंपराएँ

नेपाल में दिवाली के पाँच दिवसीय उत्सव को ‘पंचक’ भी कहा जाता है। इस पर्व के दौरान वहाँ के लोग क्रमशः काग तिहार (कौवे की पूजा), कुकुर तिहार (कुत्ते की पूजा), लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा), गोवर्धन पूजा, और भाई टीका (भाई पूजा) जैसे अनुष्ठानों का पालन करते हैं। भारत के साथ नेपाल के गहरे ‘रोटी-बेटी’ के संबंध हैं, और यहाँ यह पर्व सामाजिक और धार्मिक महत्व रखता है।

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भाई टीका पर होता है उत्सव का समापन

नेपाल में दिवाली उत्सव का अंतिम और महत्वपूर्ण दिन ‘भाई टीका’ होता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए पूजा-अर्चना करती हैं और उनके माथे पर टीका लगाती हैं। यह दिन भाई-बहन के अटूट प्रेम और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इस तरह पाँच दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन होता है, जो पूरे नेपाल के जन-जीवन को उत्साह और उमंग से भर देता है।

नेपाल में दिवाली पर होती हैं पूजाएं

काग तिहार: कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी अर्थात तिहार का पहला दिन काग तिहार के रूप में मनाया जाता है. इस दिन कौवों की विधिवत पूजा की जाती है. उन्हें खाने के सामान पेश किए जाते हैं.

कुकुर तिहार:यमपंचक के दूसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के दिन कुकुर तिहार के रूप मनाया जाता है. हिंदू परंपरा के अनुसार मान्यता है कि कुत्ता यम का दूत है. कुकुर तिहार के दिन कुत्तों को उनका पसंदीदा भोजन परोसा जाता है.

लक्ष्मी पूजा (गाय पूजा): तीसरे दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण अमावस्या को गाय की पूजा की जाती है. इसे देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. इसी दिन लक्ष्मी पूजा (दिवाली) होती है जिसमें माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है और उनसे धन-धान्य, समृद्धि व खुशहाली की कामना की जाती है. इस दौरान कुंवारी लड़कियां घर-घर जाकर भाइलो व दिउसो खेलती हैं.

गोवर्धन पूजाः तिहार के चौथे दिन शक्ति के देवता बैल को पूजा जाता है. इस दिन बैलों को विधि-विधान से पूजते हैं. गोवर्धन पूजा इस वर्ष पांच नवंबर को मनाया जाएगा.

भाई टीकाः तिहार के पांचवें दिन बहनें अपने भाइयों के सम्मान में मनाती हैं. बहनें, भाइयों के दीर्घायु की कामना यमराज से करती हैं और भाई के माथे पर पांच रंग का तिलक लगाती हैं. छह को मनाया जाएगा.


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Priya Srivastava

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About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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