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स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक: कुलपति

स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक: कुलपति
स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक: कुलपति
गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की ओर से आयोजित संगोष्ठी में बोलतीं कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन.

Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने मिशन शक्ति फेज 5 के अंतर्गत ‘भारतीय संस्कृति और स्त्री’ विषय पर एक कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि स्त्री और पुरुष एक-दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने पुरुष और स्त्री दोनों को समान रूप से देखने और उनकी मानसिकता में परिवर्तन लाने की आवश्यकता पर बल दिया. कुलपति ने मिशन शक्ति के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह अभियान महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन को सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है.

पूर्व अधिष्ठाता कला संकाय, प्रो. नंदिता सिंह ने अपने व्याख्यान में संस्कृति और प्रकृति के बीच गहरे संबंध पर जोर देते हुए कहा कि स्त्री दोनों का संरक्षण करती है. उन्होंने कहा, “स्त्री ही सभ्यता को बचाएगी. पृथ्वी और स्त्री दोनों ही हमारी संरक्षक हैं.” प्रो. सिंह ने वर्तमान समय में इको फेमिनिज्म के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने वंदना शिवा के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि स्त्री की सक्रिय भूमिका एक सुनहरे भविष्य का निर्माण कर सकती है. वंदना शिवा की पुस्तक ‘वैदिक इकोलॉजी’ में स्त्री की भूमिका को प्राकृतिक संतुलन के लिए अहम बताया गया है. उन्होंने ‘द नेचर ऑफ नेचर’ पुस्तक का हवाला देते हुए बताया कि पिछले 30 वर्षों में जलवायु परिवर्तन ने पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. 

कला संकाय के अधिष्ठाता, प्रो. राजवंत राव ने कहा कि शब्द सिर्फ ध्वनि नहीं, बल्कि जीवंत प्राणी हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शब्दों के माध्यम से हम न सिर्फ इतिहास रच सकते हैं बल्कि उसे बदल भी सकते हैं. विशेषकर, उन्होंने स्त्री के इतिहास को शब्दों के माध्यम से लिखने और उसे उचित स्थान देने की आवश्यकता पर बल दिया. प्रो. राव ने शब्दों के अर्थ को गहराई से समझाते हुए बताया कि संस्कृत में ‘पत्नी’ का अर्थ रक्षा करने वाली और ‘भार्या’ का अर्थ भरण करने वाली होता है. उन्होंने कहा कि ये शब्द स्त्री के पारंपरिक भूमिकाओं को दर्शाते हैं. छात्राओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अधिक सुख, सुविधा और आजादी की चाहत अच्छी है, लेकिन अत्यधिक चाहत हमें उन्नति की बजाय अवनति की ओर ले जा सकती है. उन्होंने जोर दिया कि हर निर्णय विवेकपूर्ण होना चाहिए.

कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए, प्रो. प्रज्ञा चतुर्वेदी ने विभाग की ओर से सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया. उन्होंने बताया कि ओडिशा से प्रारंभ हुआ मिशन शक्ति कार्यक्रम, महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है. हालांकि, उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक बड़ा मुद्दा है.

कार्यक्रम का संचालन डॉ. पद्मजा सिंह ने किया. उक्त अवसर पर प्रो. विमलेश कुमार मिश्र, प्रो. कमलेश गौतम, डॉ. मणिंद्र यादव, डॉ. विनोद कुमार रावत एवं अनेक शोध छात्र छात्राएं उपस्थित रहे.

गो गोरखपुर ब्यूरो

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