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3 महीने पुराने गोरखपुर-सोनौली फोरलेन के अंडरपास में 17 दरारें, मरम्मत कम, दरारें ‘ढंकने’ में लगी कंपनी

गोरखपुर समाचार | गोरखपुर सिटी न्यूज़

गोरखपुर: गोरखपुर-सोनौली फोरलेन के चौड़ीकरण के तहत जंगल कौड़िया में निर्मित सिक्सलेन के फ्लाईओवर के नीचे बने अंडरपास में बीते दो दिनों से 17 दरारें पड़ गई हैं। यह अंडरपास महज तीन महीने पहले ही आवागमन के लिए खोला गया था। इतने कम समय में अंडरपास की कंक्रीट, सीमेंट और सरिया से बनी छत में दरारें आने से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है और लोगों में हादसे का डर सता रहा है। सूचना मिलते ही कार्यदायी संस्था ने आनन-फानन में मरम्मत का काम शुरू करा दिया है, वहीं उच्चाधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच भी शुरू कर दी है। यह अंडरपास गोरखपुर से नेपाल बॉर्डर तक सड़क चौड़ीकरण परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

निर्माण में सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल

गोरखपुर सोनौली फोरलेन पर बने इस अंडरपास में दरारों की जानकारी सबसे पहले रेहड़ी लगाने वालों ने दी। ग्रामीणों के मुताबिक, शुक्रवार शाम तक अंडरपास की छत में 17 दरारें साफ दिखाई दे रही थीं, जो क्षेत्र में चर्चा का मुख्य विषय बन गई हैं। तुर्कवलिया और गायघाट की ओर से हजारों लोग इस फ्लाईओवर और अंडरपास से आवागमन करते हैं। दरारें पड़ने के बाद से लोगों में अनहोनी का खतरा बढ़ गया है, जिसके कारण रेहड़ी वालों ने अपना ठेला लगाना बंद कर दिया है, और इस रास्ते से लोगों का आवागमन भी काफी कम हो गया है। स्थानीय लोगों ने उच्चाधिकारियों से सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर स्थायी समाधान की मांग की है, ताकि कोई बड़ा हादसा न हो।

आनन-फानन में मरम्मत शुरू, जांच के आदेश

कार्यदायी संस्था पीएनसी इंफ्राटेक ने दरारें दिखने की सूचना मिलने पर कथित तौर पर इसकी मरम्मत शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सबसे पहले दरारों की घिसाई की गई है। शुक्रवार को दरारों के समीप लोहे का फास्टनर कसा गया है, ताकि पेच की मदद से दरारों को एक-दूसरे से जोड़ा जा सके। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मरम्मत नहीं, बस दरारें ढंकने का काम किया जा रहा है। लोग इस अस्थाई मरम्मत से संतुष्ट नहीं हैं और स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।

इस संबंध में, परियोजना निदेशक ललित प्रताप पाल ने मीडिया से कहा कि अंडरपास में दरारें नहीं पड़नी चाहिए थीं। उन्होंने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेषज्ञों से जांच कराई जा रही है। साथ ही, उन्होंने यह भी आश्वस्त किया कि फ्लाईओवर पर भार का परीक्षण भी कराया जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।


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गो गोरखपुर ब्यूरो

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