गोरखपुर: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे परियोजना में एक बड़ा मोड़ आया है। एनएचएआई ने रूट में अहम बदलाव करते हुए देवरिया जिले को प्रोजेक्ट से पूरी तरह बाहर कर दिया है। अब यह हाई-स्पीड एक्सप्रेस-वे केवल गोरखपुर और कुशीनगर के 156 से ज्यादा गांवों से होकर गुजरेगा। इसके लिए सर्वे और एलाइनमेंट का काम युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है।
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जमीन विवाद के चलते बदला गया पुराना रूट
पहले के सर्वे में देवरिया जिले के 23 गांवों को इस रूट में शामिल किया गया था, लेकिन जमीन विवाद और रूट की लंबाई बढ़ने की वजह से प्रशासन ने यह बड़ा फैसला लिया है। अब एक्सप्रेस-वे का रास्ता सीधा कुशीनगर होते हुए जाएगा, जिससे दूरी कम होगी और निर्माण में तेजी आएगी। मार्च तक सर्वे खत्म होने की उम्मीद है।
कुशीनगर की तीन तहसीलों के 141 गांव प्रभावित
नए सर्वे के मुताबिक, इस परियोजना का सबसे बड़ा हिस्सा कुशीनगर जिले में आएगा। यहाँ हाटा, कसया और तमकुहीराज तहसील के कुल 141 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। वहीं, गोरखपुर जिले में इस एक्सप्रेस-वे की लंबाई करीब 8 किलोमीटर तय की गई है, जिसके लिए 15 से ज्यादा राजस्व गांवों को चिन्हित किया गया है।
भविष्य में पानीपत एक्सप्रेस-वे से जुड़ने की योजना
इस एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 525.590 किलोमीटर प्रस्तावित है। गोरखपुर में यह सरंडा गांव के पास जगदीशपुर-जंगल कौड़िया फोरलेन से मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि भविष्य में इसे एक लिंक रोड के जरिए पीपीगंज-कैंपियरगंज होते हुए ‘गोरखपुर-पानीपत एक्सप्रेस-वे’ से कनेक्ट किया जाएगा, जिससे दिल्ली तक की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी।

