रांची-गोरखपुर एक्सप्रेस (18629) में यात्रा कर रहे एक बुजुर्ग दंपति का AC सेकंड बोगी से ट्रॉली और हैंडबैग चोरी हो गया, जिसमें कीमती कपड़े, पांच हजार नकद, एक अंगूठी और जरूरी दस्तावेज थे। पीड़िता ने कोच अटेंडेंट और जीआरपी पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पूरी खबर पढ़ें।
गोरखपुर: रांची से गोरखपुर आ रही रांची-गोरखपुर एक्सप्रेस (18629) में शुक्रवार 5 सितंबर को यात्रा कर रहे एक बुजुर्ग दंपति को एक कड़वा अनुभव मिला। एसी सेकंड क्लास में सफर कर रहे जगदीश लाल श्रीवास्तव और उनकी पत्नी नीलम श्रीवास्तव का कीमती सामान यात्रा के दौरान चोरी हो गया। इस घटना के बाद, दंपति ने रेल मदद (139) पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उन्हें पुलिस और रेलवे की तरफ से कोई खास मदद नहीं मिल सकी। पीड़ित दंपति ने जीआरपी की कार्यप्रणाली और रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह घटना एक बार फिर से ट्रेनों में यात्री सुरक्षा पर प्रश्नचिह्न लगाती है।
हैंडबैग और ट्रॉली बैग गायब, कीमती कपड़े, नकद और अंगूठी रखी थी
शाहपुर इलाके की इंद्रप्रस्थपुरम कॉलोनी में रहने वाले जगदीश लाल और नीलम श्रीवास्तव ने बताया कि शनिवार सुबह 6 बजे के करीब ट्रेन छपरा पहुंचने वाली थी। उस समय जब उनकी नींद खुली, तो उन्होंने पाया कि उनका हैंडबैग और ट्रॉली बैग दोनों गायब हैं। ट्रॉली बैग में महंगे कपड़े थे, जबकि हैंडबैग में 5,000 रुपये से कुछ अधिक नकद, एक अंगूठी, एटीएम कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज थे। पीड़िता ने बताया कि उनके हैंडबैग में उनकी ब्लड प्रेशर और अन्य आवश्यक दवाएं भी थीं, जिसके कारण उन्हें सुबह दवा लेने में भी परेशानी हुई।

रेल मदद पर शिकायत, मिली निराशा
सामान चोरी होने के तुरंत बाद, दंपति ने 139 के माध्यम से रेल मदद टीम (संदर्भ संख्या 2025090601787) को शिकायत की। छपरा जंक्शन पर आरपीएफ की टीम बोगी में पहुंची और पूछताछ की। पीड़िता को लगा कि शायद पुलिस की सक्रियता से उनका सामान मिल जाएगा, लेकिन यह पूछताछ महज एक औपचारिकता बनकर रह गई। आरपीएफ के सिपाही ने दंपति को छपरा में ही उतरकर जीआरपी थाने में एफआईआर दर्ज कराने का सुझाव दिया, लेकिन दंपति के पास पैसे न होने के कारण यह संभव नहीं था। पास में पैसे न होने के कारण अगर वे छपरा में उतर जाते तो उनकी आगे की यात्रा कैसे होती, इसका जवाब आरपीएफ सिपाही के पास नहीं था।
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पीड़िता को कोच अटेंडेंट पर शक
पीड़िता नीलम श्रीवास्तव ने कोच अटेंडेंट पर संदेह जताया है। बातचीत में उन्होंने बताया कि रात 12 बजे जब वह वॉशरूम के लिए उठी थीं, तो कोच अटेंडेंट ने उनसे बैग सिरहाने रखने का सुझाव दिया था। हालांकि, उन्होंने पहले ही बैग को तकिए के नीचे छिपाकर रखा था। कोच अटेंडेंट के इस सुझाव पर उन्हें उसकी नीयत पर कुछ शक तभी हुआ था। इसके अलावा, दंपति ने बताया कि पूरी रात एसी कोच में लोगों की आवाजाही जारी रही, लेकिन कोच अटेंडेंट ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यात्रा शुरू करते समय बेडशीट और तकिया बदलने के लिए जब उन्होंने कोच अटेंडेंट से संपर्क किया, तो वह काफी देर बाद आया और कोई सहायता नहीं मिली।
गोरखपुर में भी नहीं दर्ज हो सकी एफआईआर
दंपति ने गोरखपुर पहुंचकर एफआईआर दर्ज कराने का फैसला किया। गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन प्लेटफार्म नंबर नौ पर रुकी थी, जबकि जीआरपी थाना प्लेटफार्म नंबर एक पर है। बुजुर्ग दंपति के लिए इतनी दूर जाना आसान नहीं था। इसलिए उन्होंने अपने बेटे को शिकायत दर्ज कराने के लिए भेजा। बेटे को जीआरपी थाने में बताया गया कि “साहब अभी है नहीं, इंतजार करना पड़ेगा”। 18 घंटे की यात्रा और सामान चोरी की परेशानी झेलने के बाद, बुजुर्ग दंपति के लिए थाने में लंबा इंतजार करना संभव नहीं था। आखिरकार, उन्हें बिना एफआईआर दर्ज कराए ही घर जाना पड़ा।