गोरखपुर में राजस्थान के युवक से 90 हजार की लूट के मामले में निलंबित हुए पुलिसकर्मियों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। उनके मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच के लिए पुलिस टीम आज मध्य प्रदेश जाएगी।
गोरखपुर: राजस्थान के युवक रविशंकर से 90 हजार रुपये की लूट के मामले में निलंबित हुए पुलिसकर्मियों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। इस मामले में संदेह के घेरे में आए नौसड़ चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किए जाने के 20 दिन बाद भी उन्होंने पुलिस लाइंस में अपनी आमद नहीं कराई है। अब पुलिस ने उनकी ओर से दिए गए मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच के लिए एक टीम को आज मध्य प्रदेश भेजने का फैसला किया है।
क्या है पूरा मामला?
राजस्थान से आए रविशंकर को जेल भेजने का भय दिखाकर उनसे 90 हजार रुपये लूटे गए थे। इस मामले की गुत्थी अभी तक पूरी तरह सुलझ नहीं पाई है। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर पुलिसकर्मियों ने ही इस लूट में मिलीभगत की थी। इसके बाद नौसड़ चौकी प्रभारी शुभम श्रीवास्तव, एक महिला दारोगा और तीन अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
मेडिकल सर्टिफिकेट पर गहराया संदेह
निलंबन के बाद, तीन पुलिसकर्मियों ने बिना अनुमति के अपनी ड्यूटी से गैरहाजिर रहते हुए एक किशोरी को बरामद करने के लिए मुंबई जाने का हवाला दिया था। इसके बाद उन्होंने 12 से 22 अगस्त तक के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट भेजा, लेकिन इसकी अवधि समाप्त होने के बावजूद वे अभी तक पुलिस लाइंस में हाजिर नहीं हुए हैं।
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सूत्रों के मुताबिक, विभाग ने उनके मूल पते पर नोटिस भेजकर गैरहाजिर रहने का कारण पूछा है। साथ ही, अब पुलिस उस डॉक्टर का सत्यापन भी कराएगी, जिसने इंदौर में इन पुलिसकर्मियों का मेडिकल सर्टिफिकेट बनाया था। पुलिस यह जानना चाहती है कि क्या यह मेडिकल सर्टिफिकेट सही है या फिर यह सिर्फ जांच से बचने का एक बहाना है।