गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में हुआ नाटक का मंचन, दर्शकों पर छोड़ी अमिट छाप
Gorakhpur: गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट के मंच पर शनिवार शाम को रंगकर्मियों ने नौटंकी शैली में ‘हरिश्चंद्र तारामती’ की कहानी का मंचन किया. नाटक में नगाड़े के प्रयोग ने आमजन को कर्तव्य और निष्ठा का संदेश देने वाली इस कहानी को और भी जीवंत बना दिया.
सोशल इंक्लूजन वेलफेयर सोसायटी के कलाकारों ने एक नाटक का मंचन किया, जिसमे राजा हरिश्चंद्र के सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपना राज-पाट त्याग देने और स्वयं को एक डोम के हाथों बेच देने की कहानी को जीवंत किया गया. नाटक में उनके पुत्र रोहित की मृत्यु और अंततः हरिश्चंद्र के सत्य की विजय को दर्शाया गया. कलाकारों के शानदार प्रदर्शन ने दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ी.
विवेक श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित इस नाटक को स्व. शेषनाथ मणि ने लिखा था. कलाकारों में हरिश्चंद्र की भूमिका में जय ओम, तारामती की भूमिका में प्रिया गुप्ता, रोहित की भूमिका में दक्ष श्रीवास्तव, इंद्र की भूमिका में विनोद चंद्रेश, विश्वामित्र की भूमिका में अजय यादव, वशिष्ठ की भूमिका में उपेंद्र तिवारी, विदूषक की भूमिका में नागेंद्र भारती, रितेश चौहान, नारद की भूमिका में मिथिलेश तिवारी, अप्सरा की भूमिका में डिंपल प्रियंका और ब्राह्मण, शिव, मोहन एवं ग्रामीण की भूमिकाओं में सूरज श्रीवास्तव थे.
गायिका शिप्रा दयाल के साथ वाद्य यंत्रों पर सोनू श्रीवास्तव, संजय यादव और लालमन ने संगत की. अजित सिंह ने प्रकाश संयोजन, अनिल गौड़ ने वस्त्र विन्यास, गगन श्रीवास्तव और सुमित श्रीवास्तव ने मंच व्यवस्था तथा राधेश्याम ने रूप सज्जा का कार्यभार संभाला.
कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति ने मोहा मन
हिंदी कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति ने लिटफेस्ट की शाम को यादगार बना दिया. आदित्य राजन और उनके समूह ने गोरखवाणी, कबीर के दोहे और दुष्यंत कुमार की रचनाओं को संगीतबद्ध करके श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. आदित्य राजन ने गज़लों और लोकगीतों के साथ-साथ “जो मैं जानती”, “बिछड़त हैं सैंया”, “काहे किरिया धरावेला तू” जैसे गीतों को भी अपनी आवाज़ दी, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा. पवन कुमार के परकशन और कार्तिकेय द्विवेदी के गिटार ने प्रस्तुति में चार चाँद लगा दिए. कार्यक्रम का संचालन अंजली श्रीवास्तव ने किया.
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