गोरखपुर: गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण की स्थापना को 35 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास में इसका महत्व आज भी बरकरार है। नोएडा की तर्ज पर 30 नवंबर 1989 को स्थापित, गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) की संकल्पना तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी की दूरदर्शिता का परिणाम थी। इस प्राधिकरण की स्थापना उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम 1976 के तहत की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य पूर्वी यूपी में रोज़गार और उद्योगों का विकास करना था। गीडा का कुल क्षेत्रफल 13,135 एकड़ है, जिसे 32 सेक्टरों में बांटा गया है।
विज्ञापन
एनडी तिवारी का गोरखपुर कनेक्शन और गीडा की नींव
पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को गोरखपुर से गहरा लगाव था, जिसका प्रमाण गीडा की स्थापना में मिलता है। उन्होंने न सिर्फ नोएडा की तर्ज पर गीडा बनाने की योजना को 1988 में मंज़ूरी दी, बल्कि वे अक्सर शहर का दौरा भी करते थे। पुराने नेता बताते हैं कि कांग्रेस सरकार की ओर से शहर को दिया गया यह संभवत: सबसे बड़ा तोहफ़ा था। तिवारी ने 1999 में यहां बंद पड़े खाद कारखाने को फिर से शुरू कराने की मांग को लेकर उपवास भी किया था। उनका अंतिम दौरा 31 जनवरी, 2015 को हुआ था। तिवारी के प्रयास से ही गीडा की स्थापना हो पाई, जिसने इस क्षेत्र को एक नई औद्योगिक पहचान दी।
गीडा में स्थापित प्रमुख औद्योगिक इकाइयां
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण आज पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां कई बड़े उद्योग स्थापित हैं, जो हज़ारों लोगों को रोज़गार प्रदान कर रहे हैं। इन प्रमुख औद्योगिक इकाइयों में गैलेंट स्टील, इंडिया ग्लाइकोल्स, आईजीएल डिस्टिलरी, एबीआर पेट्रो और ट्राइडेंट स्टील जैसे नाम शामिल हैं। इसके अलावा, नेमानी प्लाईवुड, आजम रबर्स, विनायक उद्योग, एस एंड जे बेवरेजेज और मोदी केमिकल्स जैसी कंपनियां भी यहां सक्रिय हैं। ये सभी उद्योग मिलकर इस क्षेत्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

