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गोरखपुर: गोर्रा नदी में नाव पलटी, भतीजे का हाथ खींच बाहर निकाला, लेकिन आंखों के सामने डूब गया बेटा

गोरखपुर: गोर्रा नदी में नाव पलटी, भतीजे का हाथ खींच बाहर निकाला, लेकिन आंखों के सामने डूब गया बेटा

गोरखपुर। झंगहा थाना क्षेत्र के करही घाट पर शनिवार दोपहर एक हृदय विदारक हादसा हुआ। यात्रियों और बाइकों से भरी एक नाव हुर्रा (गोर्रा) नदी की बीच धारा में पलट गई, जिससे जोगिया गांव निवासी 17 वर्षीय किशोर कृष कुमार चतुर्वेदी की डूबने से मौत हो गई। कृष अपने पिता के साथ नाव में सवार था। दुर्घटना के दौरान अन्य कई यात्री तैरकर सुरक्षित बाहर निकल आए, जबकि गहरे पानी में डूबे किशोर की तलाश दो घंटे बाद पूरी हो सकी।

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तेज धार और ओवरलोडिंग बनी हादसे की वजह

यह हादसा शनिवार सुबह करीब 11 बजे उस समय हुआ जब राजधानी गांव से करही की ओर जा रही नाव में लगभग आठ लोग और कुछ बाइकें सवार थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नदी में तेज धार थी और नाव में क्षमता से अधिक भार था, जिसके चलते नाव बीच धारा में अचानक पलट गई। हादसे के बाद नदी में अफरा-तफरी मच गई और नाव सवार कई लोग किसी तरह तैरकर बाहर निकलने में सफल रहे।

पिता ने बेटे को बचाने की कोशिश में पकड़ा भतीजे का हाथ

यह हादसा झंगहा क्षेत्र के जोगिया गांव निवासी मदनेश चतुर्वेदी के लिए सबसे हृदयविदारक साबित हुआ। मदनेश भी उसी नाव में सवार थे और कृष कुमार चतुर्वेदी उनके इकलौते बेटे थे। डूबने की स्थिति में मदनेश ने अपने बेटे कृष को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। जान बचाने के लिए उन्होंने जिसका हाथ पकड़ा वह उनका भतीजा था। भतीजे को वह खींचकर बाहर निकाल लाए, लेकिन जब तक वह दोबारा कृष की तलाश करते, तब तक उनका बेटा गहरे पानी में समा चुका था। कृष कक्षा नौ का छात्र था।

दो घंटे बाद बरामद हुआ शव, बाइकों की तलाश जारी

घटना की सूचना मिलते ही झंगहा पुलिस और राजस्व विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। स्थानीय गोताखोरों की मदद से नदी में किशोर की तलाश शुरू की गई। लगभग दो घंटे की मशक्कत के बाद कृष कुमार चतुर्वेदी का शव बरामद कर लिया गया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है। हादसे में नाव के साथ नदी में डूबी बाइकों की तलाश जारी है।

पुल निर्माण न होने से लोगों में गुस्सा

हादसे के बाद गांव में मातम पसरा हुआ है, वहीं ग्रामीणों में आक्रोश भी है। स्थानीय लोगों ने बताया कि नदी पार करने के लिए करही घाट पर नाव ही एकमात्र साधन है। वे वर्षों से इस घाट पर पुल निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई अब तक नहीं हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुल बन जाता तो इस तरह के जानलेवा हादसे नहीं होते।


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Siddhartha Srivastava

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Siddhartha Srivastava का आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव है. वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता. email:- siddhartha@gogorakhpur.com | 9871159904.

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