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भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय 31 पुस्तकें प्रकाशित करेगा

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भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय की पहल

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भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय 31 पुस्तकें प्रकाशित करेगा
भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत गोरखपुर विश्वविद्यालय 31 पुस्तकें प्रकाशित करेगा

गोरखपुर: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की भारतीय भाषा पुस्तक योजना के अंतर्गत दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय 14 विषयों की कुल 31 पुस्तकें प्रकाशित करेगा। इनमें से 27 पुस्तकें मौलिक होंगी, जबकि 4 पुस्तकें अनूदित रूप में प्रकाशित की जाएंगी।

शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा

इस वर्ष केंद्रीय बजट में भारतीय भाषा पुस्तक योजना की शुरुआत की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय भाषाओं में शैक्षिक पुस्तकों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराना है। यह योजना मातृभाषा में पढ़ाई के इच्छुक विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने के साथ-साथ शिक्षा में क्षेत्रीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की पहल

केंद्रीय बजट में इस योजना की घोषणा के बाद, गत सप्ताह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने देश के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से 25 फरवरी तक प्रस्ताव आमंत्रित किए थे। इन प्रस्तावों में मौलिक लेखन और अनुवाद दोनों शामिल थे।

गोरखपुर विश्वविद्यालय का योगदान

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कुल 31 पुस्तकों के सृजन का प्रस्ताव भेजा है, जिसमें विभिन्न संकायों से पुस्तकें शामिल हैं:

  • सामाजिक एवं मानविकी संकाय – 14 पुस्तकें
  • विज्ञान संकाय – 9 पुस्तकें
  • वाणिज्य संकाय – 2 पुस्तकें
  • अभियांत्रिकी संकाय (हिंदी में) – 2 पुस्तकें
  • इसके अलावा, कला संकाय से 3 पुस्तकें और विज्ञान संकाय से 1 पुस्तक का अनुवाद प्रस्तावित किया गया है।

प्रकाशन प्रक्रिया और मंत्रालय का सहयोग

देश भर से प्राप्त प्रस्तावों की समीक्षा और परीक्षण के बाद, इस वर्ष के अंत तक चयनित पुस्तकें प्रकाशित की जाएंगी। इस प्रक्रिया में शिक्षा मंत्रालय का सहयोग मिलेगा, जिससे भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री को बढ़ावा मिलेगा।

मातृभाषा आधारित शिक्षा पर जोर देने के लिए एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के दृष्टिकोण के अनुरूप प्रस्तावित इस योजना में 31 पुस्तकों के सृजन का प्रस्ताव हमारे शिक्षकों की विद्वता और क्षमता का द्योतक है। इससे राष्ट्रीय स्तर पर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ेगी और विद्यार्थी भी लाभान्वित होंगे। — प्रो पूनम टंडन, कुलपति

प्रिया श्रीवास्तव

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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक. गोगोरखपुर.कॉम के लिए हेल्थ, सिनेमा, टेक और फाइनेंस बीट पर रिसर्च करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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