गोरखपुर: ब्रान आयल (चावल की भूसी का तेल) फैक्ट्री में शुक्रवार को रसायन (केमिकल) के रिसाव के कारण लगी आग 19 घंटे बाद भी काबू में नहीं आ सकी है। अत्यधिक ज्वलनशील तरल ‘हेक्सेन’ के पाइप लाइन से प्रवाहित होकर हवा के संपर्क में आते ही, इसने गैस का रूप ले लिया और आग को विकराल बना दिया। औद्योगिक क्षेत्र गीडा के सेक्टर-15 स्थित फैक्ट्री में आग बुझाने के लिए गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों के अलावा आजमगढ़ और देवीपाटन रेंज से 100 से अधिक फायरकर्मी बुलाए गए हैं। 20 से अधिक दमकल की गाड़ियां लगभग 200 राउंड पानी डालने के बावजूद रात 11 बजे तक भी आग पर पूरी तरह से काबू नहीं पा सकीं।
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दमकल कर्मियों के लिए चुनौती बना हेक्सेन का रिसाव
औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र के सेक्टर 15 में राजेश रूंगटा की रूंगटा इंडस्ट्रीज नाम की यह ब्रान आयल फैक्ट्री स्थित है, जहाँ शुक्रवार की भोर में करीब चार बजे अचानक धमाका हुआ और पाइप लाइन के ऊपरी व निचले हिस्सों से आग की लपटें निकलने लगीं। दमकल की गाड़ियां मौके पर दस मिनट में ही पहुंच गईं, लेकिन पाइप लाइन में प्रवाहित हेक्सेन तरल के रिसाव ने आग बुझाने की प्रक्रिया को अत्यंत चुनौतीपूर्ण बना दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि अत्यधिक ज्वलनशील केमिकल के पूरी तरह से खत्म होने तक आग पर काबू पाना मुश्किल है। तपिश इतनी ज्यादा है कि आग बुझा रहे फायर कर्मियों के फेस मास्क और हेलमेट तक पिघल रहे हैं।
विस्फोट के खतरे के कारण खाली कराया गया एक किलोमीटर का क्षेत्र
आग की तीव्रता और मुख्य स्टोरेज टैंक तक लपटों के पहुंचने की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने बड़ा एहतियाती कदम उठाया है। टैंक फटने के गंभीर खतरे के मद्देनजर चार फैक्ट्रियों को तत्काल बंद करा दिया गया है और फैक्ट्री के आसपास के एक किलोमीटर क्षेत्र को पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। दमकल की गाड़ियां फिलहाल आग को फैलने से रोकने और टैंक को ठंडा रखने के लिए लगातार पानी का छिड़काव कर रही हैं। शाम को दिल्ली से पहुंचे इंजीनियरों ने बताया कि आग को फैलने से रोक लिया गया है। अब लीकेज बंद होने पर विस्फोट के खतरे के कारण ‘सेफ बर्निंग’ कराई जा रही है।
आग की जाँच के लिए डीएम ने गठित की सात सदस्यीय टीम
इस गंभीर घटना के बाद, ज़िलाधिकारी (डीएम) ने आग लगने के कारणों और फैक्ट्री प्रबंधन की सुरक्षा व्यवस्था की जाँच के लिए एक सात सदस्यीय टीम का गठन किया है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, फैक्ट्री के अपने फायर सिस्टम में भी खामियां थीं, क्योंकि कर्मचारियों के प्रयास के बावजूद फायर लाइन न तो प्रेशर बना पाई और न ही स्प्रिंकलर सक्रिय हुए। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए गोरखपुर के अलावा देवरिया, बस्ती, संतकबीरनगर, इंडियन आयल, एचपी गैस भराई संयंत्र और गीडा की अन्य फैक्ट्रियों के दमकल वाहन भी आग बुझाने के कार्य में लगाए गए।


