गोरखपुर के जूनियर डॉक्टर अबीशो डीजे की मौत के 3 दिन बाद उनकी पत्नी ने बेटी को जन्म दिया। खुशियों के बीच गम का माहौल, परिवार सदमे में। जानें इस भावुक घटना का पूरा विवरण।
गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर अबीशो डीजे की असामयिक मौत के ठीक तीन दिनों बाद उनके घर में नन्हीं किलकारी गूंजी है। उनकी पत्नी डॉ. निमिषा ने एक स्वस्थ बेटी को जन्म दिया है। एक तरफ जहाँ परिवार गहरे सदमे और संकट की स्थिति से गुजर रहा है, वहीं इस नन्हीं परी के आगमन ने घरवालों को पल भर के लिए खुशी जरूर दी है, लेकिन ऐसे मौके पर डॉ. अबीशो का इस दुनिया में न होना परिवार के लिए एक ऐसे सदमे की तरह है जिससे वे उबर नहीं पा रहे हैं। गोरखपुर में डॉ. अबीशो के दोस्तों को जैसे ही इस नन्हीं परी के आगमन का संदेश मिला, उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस मौके पर खुश हों या अपनी भावनाओं को कैसे व्यक्त करें।
गौरतलब है कि बीती 11 जुलाई को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के कमरा नंबर 25-जी में डॉ. अबीशो का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला था। 12 जुलाई को उनके भाई अभिनव और ससुर साल्वे राज गोरखपुर पहुंचे थे, और पोस्टमार्टम के बाद 13 जुलाई को उनका पार्थिव शरीर केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित उनके पैतृक घर पहुंचा, जहाँ ईसाई रीति-रिवाज से उनकी अंतिम क्रिया हुई।
इस दुखद घटना के बीच, 14 जुलाई की सुबह करीब 4 बजे उनकी पत्नी डॉ. निमिषा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन उन्हें श्री एवीटॉम थिरुनल मेडिकल कॉलेज (एसएटी), तिरुवनंतपुरम लेकर गए, जहाँ सुबह सात बजे उन्होंने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। इस कठिन समय में परिवार की महिलाएं डॉ. निमिषा के साथ रहीं और उन्हें सहारा दिया। बेटी के जन्म की खुशी के बीच पति के असमय चले जाने का गम पूरे माहौल को भावुक बना रहा था।
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डिलीवरी के दौरान डॉ. निमिषा बार-बार अपने पति अबीशो का नाम लेती रहीं, जिस पर डॉक्टरों और परिवारजनों ने उन्हें समझाकर शांत किया। ससुर साल्वे राज ने स्थानीय मीडिया को बताया कि निमिषा और अबीशो दोनों ने मैटरनिटी लीव लेने की तैयारी की थी। बच्चे के जन्म के बाद निमिषा को तीन महीने केरल में ही रहना था, जबकि उसके बाद तीन महीने गोरखपुर जाने की तैयारी थी।
गोरखपुर में डॉ. अबीशो के करीबी दोस्तों का कहना है कि अबीशो छुट्टी से लौटने के बाद सभी को पार्टी देने वाले थे। वह बेहद खुश थे कि वे जल्द ही पिता बनने वाले हैं। इस बीच उनका इस तरह अचानक चले जाना गहरे सदमे जैसा है, जिससे उबरना मुश्किल हो रहा है।