अपडेट

प्रेग्नेंट पत्नी को आखिरी सेल्फी और मैसेज – “खाना खाने जा रहा हूं”, गोरखपुर में डॉक्टर की मौत सवालों में उलझी

प्रेग्नेंट पत्नी को आखिरी सेल्फी और मैसेज - "खाना खाने जा रहा हूं", गोरखपुर में डॉक्टर की मौत सवालों में उलझी
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉ. अबीशो डेविड की संदिग्ध हालात में मौत. 32 वर्षीय प्रतिभाशाली चिकित्सक के निधन के पीछे का रहस्य, परिवार के सवाल और पुलिस जांच. जानें क्या थी आखिरी बातचीत और क्या कहती है शुरुआती जांच.

गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में डॉ. अबीशो डेविड की अचानक मौत से हर कोई हैरान है – उनका परिवार, दोस्त और जानने वाले सभी सदमे में हैं. केरल के इस होनहार डॉक्टर का यूं चले जाना कई अनसुलझे सवाल छोड़ गया है. महज 32 साल के डॉ. अबीशो डेविड ने मरने से ठीक पहले अपनी गर्भवती पत्नी डॉ. निमिषा को अपनी एक सेल्फी भेजी थी. उसके साथ उनका आखिरी मैसेज था, “खाना खाने जा रहा हूं.” किसी ने सोचा भी नहीं था कि ये उनके आखिरी शब्द होंगे, एक ऐसी विदाई जो कभी पूरी नहीं हो पाई. शुक्रवार की सुबह जब उनकी आठ महीने की गर्भवती पत्नी को इस दिल दहला देने वाली खबर का पता चला, तो उनकी चीखें पूरे घर में गूंज उठीं. अगले महीने ऑपरेशन से अपने पहले बच्चे को जन्म देने वाली निमिषा के लिए यह खबर किसी पहाड़ टूटने से कम नहीं थी. उनका पूरा भविष्य और सारे सपने एक पल में बिखर गए. जिस बच्चे का वे बेसब्री से इंतजार कर रही थीं, उसे अब अपने पिता का चेहरा कभी देखने को नहीं मिलेगा. “खाना खाने जा रहा हूं” का ये मैसेज अब एक डरावनी याद बनकर रह गया है.

डॉ. अबीशो डेविड
डॉ. अबीशो डेविड

प्रेम और फोटोग्राफी के प्रति लगाव

डॉ. अबीशो को जानने वाले बताते हैं कि उन्हें फोटोग्राफी का बड़ा शौक था. उनकी खींची तस्वीरों में अपनी पत्नी निमिषा के लिए उनका गहरा प्यार साफ झलकता था. हर तस्वीर में उनकी नजदीकी और रिश्ते की गहराई साफ दिखती थी. उन्होंने एक बार सोशल मीडिया पर अपनी पत्नी की तस्वीर के साथ लिखा था, “तुम्हारी सुबह की आंखों को तारों की तरह देखता हूं.” वे अपनी पत्नी के साथ बिताए हर पल को संजोकर रखते थे, और अक्सर उन्हें सोशल मीडिया पर शेयर करते थे, जैसे वे दुनिया को अपनी खुशी बताना चाहते हों. उनके दोस्तों के लिए यह समझना मुश्किल है कि इतना हंसमुख और खुशमिजाज इंसान, जो अपनी जिंदगी का पूरा मजा ले रहा था, ऐसा भयानक कदम कैसे उठा सकता है. वे हमेशा दूसरों को प्रेरित करते थे, और उन्हें कभी उदास नहीं देखा गया था.

हॉस्टल में पूछताछ करती पुलिस.
हॉस्टल में पूछताछ करती पुलिस.

छात्रावास में मिला शव, पास पड़ा था इंजेक्शन

शुक्रवार की सुबह डॉ. अबीशो का शव मेडिकल कॉलेज हॉस्टल के कमरा नंबर 25-G में मिला, जो कि एक चौंकाने वाला मंजर था. उनके पास एक इंजेक्शन और कुछ दवा की शीशियां पड़ी थीं. शुरुआती जांच से लगता है कि डॉक्टर ने ज्यादा दवा ले ली थी, जिससे उनकी मौत हो गई. यह दवा ‘न्यूरो मस्कुलर ब्लॉक’ करती है, और इसे लेने के तीन मिनट के अंदर मौत हो सकती है. आमतौर पर, इसका इस्तेमाल मरीज को वेंटिलेटर पर रखने के बाद ही किया जाता है, ताकि उसकी सांस न रुके. कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है, जिससे यह मामला और भी पेचीदा हो गया है. सुसाइड नोट न होने से कई सवाल उठ रहे हैं.

हॉस्टल के कमरे से मिला इंजेक्शन.
हॉस्टल के कमरे से मिला इंजेक्शन.

परिवार की पीड़ा और अनसुलझे प्रश्न

शनिवार दोपहर को अबीशो के बड़े भाई अभिनव डेविड और उनके ससुर सिल्वर राज केरल से गोरखपुर पहुंचे. उनकी आंखों में दर्द और कई सवाल साफ दिख रहे थे. उन्होंने पुलिस के साथ अबीशो का हॉस्टल का कमरा देखा. ससुर सेल्वे राज ने बताया कि जब उनकी बेटी निमिषा ने सुबह फोन किया, तो पुलिसकर्मियों ने उठाया और बताया कि ‘यहां दुर्घटना हुई है, अबीशो गंभीर हैं.’ यह सुनकर निमिषा को शक हुआ और वह चीख-चीखकर रोने लगीं. उनकी आवाज में वह दर्द था जिसे कोई भी माता-पिता नहीं सुनना चाहेंगे. अबीशो की शादी 2024 में हुई थी, और निमिषा खुद एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं.

अगले माह की फ्लाइट बुक थी…

डॉ. अबीशो एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट में जूनियर रेजिडेंट (जेआर-3) डॉक्टर थे. उनकी पत्नी और परिवार केरल में रहते थे. अगले महीने उनकी पत्नी की डिलीवरी होनी थी, जिसके लिए अबीशो ने कॉलेज के प्रिंसिपल को छुट्टी की अर्जी भी दे रखी थी. उन्होंने जुलाई के आखिर में केरल अपने घर जाने के लिए फ्लाइट की टिकटें भी बुक करवा रखी थीं. यह सब बताता है कि वह अपने घर जाने की प्लानिंग कर रहे थे, और अपने बच्चे के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. यह सब देखते हुए, यह सवाल और भी बड़ा हो जाता है कि जब सब कुछ ठीक था, तो ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से अबीशो ने इतना बड़ा कदम उठा लिया? यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है.

हर कोई सदमे में…

हॉस्टल वार्डन डॉ. सुरेंद्र कुमार ने गुलहरिया थाने में शिकायत दर्ज करा दी है. पुलिस ने हॉस्टल में अबीशो के दोस्तों से भी पूछताछ की है. उनके साथ पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे सुनील ने बताया कि अबीशो कभी घर-परिवार की बातें शेयर नहीं करते थे, लेकिन हमेशा हंसते-मजाक करते रहते थे. उन्हें देखकर कभी नहीं लगा कि वे ऐसा कुछ कर सकते हैं. दोस्तों के मुताबिक, अबीशो अपने बैच में सबसे होशियार थे. वे अक्सर उनके साथ ही पढ़ाई करते थे और उनकी मदद भी करते थे. गुरुवार रात करीब 11 बजे अबीशो को अचानक भूख लगी और वे बाहर जाकर खाना खाकर आए. इसके बाद अपने कमरे में बैठकर लगभग 2 बजे तक पढ़ाई की. सब कुछ बिल्कुल सामान्य लग रहा था. फिर सभी अपने-अपने कमरों में सोने चले गए. दोस्तों के बयानों से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला जिससे यह पता चल सके कि डॉक्टर के साथ क्या हुआ. सभी हैरान हैं और सदमे में हैं.

लैपटॉप की फोरेंसिक जांच

पुलिस को पता चला है कि डॉ. अबीशो पिछले दो दिनों से लगातार अपने घर पर ई-मेल भेज रहे थे. इन ई-मेल में क्या लिखा था, यह जानने के लिए उनके लैपटॉप की फोरेंसिक जांच की जा रही है. हो सकता है ये ई-मेल कोई बड़ा राज़ खोलें. गुरुवार देर रात अबीशो के मोबाइल पर एक कॉल भी आई थी. पुलिस उन नंबरों की डिटेल निकलवा रही है और कॉल करने वालों से पूछताछ करने की तैयारी में है. डॉक्टर का मोबाइल पुलिस के पास है, और उम्मीद है कि कॉल डिटेल से कुछ अहम सुराग मिलेंगे. शायद यह आखिरी कॉल ही अबीशो की मौत का सबसे बड़ा राज़ हो सकती है.

कमरे की दीवार पर लिखा ‘बी देन योर एक्सक्यूज…’

पुलिस जब हॉस्टल के कमरा नंबर 25-G में पहुंची, तो डॉ. अबीशो का शव बिस्तर पर इस तरह पड़ा था, जैसे वह बैठे हों और फिर पीछे लेट गए हों. उन्होंने टी-शर्ट और निकर पहन रखी थी. बिस्तर पर और कोई सामान नहीं था. कमरे की एक दीवार पर एक स्टिकर लगा था, जिस पर लिखा था- ‘बी देन योर एक्सक्यूज…’. इसका क्या मतलब था? क्या वे किसी को मैसेज दे रहे थे? या खुद को? यह लाइन भी एक रहस्य बनी हुई है. कमरे के एक कोने में टीवी, प्रेस और रोज़मर्रा के इस्तेमाल का सामान था. अलमारी के अंदर मेडिकल की पढ़ाई से जुड़ी किताबें रखी थीं. उस दर्दनाक नज़ारे के अलावा सब कुछ नॉर्मल लग रहा था. यह स्टिकर और कमरे की हालत भी कई सवाल खड़े कर रही है.

हमें फॉलो करें

Amit Srivastava

Amit Srivastava

About Author

गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

नया एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल का लक, डेवलपमेंट का लिंक महाकुंभ 2025: कुछ अनजाने तथ्य… महाकुंभ 2025: कहानी कुंभ मेले की…