दिवाली पर प्रदूषण बन सकता है सांस के मरीज़ों के लिए आफत, पटाखों के धुएं और घर की सफ़ाई से रहें सतर्क

दिवाली पर प्रदूषण बन सकता है सांस के मरीज़ों के लिए आफत, पटाखों के धुएं और घर की सफ़ाई से रहें सतर्क

गोरखपुर: दिवाली वाले दिन और उसके बाद के कुछ दिनों में अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो जाती है. अगर आप शुरू से ही जरा सी सावधानी रखना शुरू कर देंगे तो यह पक्का है कि आपके इस फेस्टिव सेलिब्रेशन के रंग में भंग नहीं पड़ेगा.

दिवाली पर सिर्फ बम-पटाखे ही प्रदूषण नहीं फैलाते, बल्कि घरों में होने वाली लंबी-चौड़ी सफाई भी धूल को बढ़ा देती है. यही वजह है कि इस मौसम में सांस की बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी होती है. बम-पटाखों से निकलने वाले धुएं में हानिकारक गैसों के साथ-साथ लेड, जिंक, सोडियम और मैंगनीज जैसे तत्व हवा के साथ घुल कर उसे जहरीला बना देते हैं. जब इसी हवा में अस्थमा के मरीज सांस लेते हैं तो उनके फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है. जरूरत है सावधानी की, ताकि किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति से बचा जा सके.

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  • अगर घर में रंग-रोगन का काम करवाना है और किसी सदस्य को सांस की तकलीफ भी है तो बेहतर होगा कि ऐसे सदस्य को घर से कुछ समय के लिए कहीं दूर भेज दिया जाए.
  • घर की सफाई मुंह पर कपड़ा बांधकर करें, ताकि आपको किसी प्रकार की एलर्जी न हो.
  • दिवाली की रात होने वाली आतिशबाजी प्रदूषण के स्तर को काफी बढ़ा देती है, इसलिए बेहतर होगा कि आप खिड़की-दरवाजे बंद करके बैठे और एसी चला कर रखें. इससे आपको सांस लेने में थोड़ी राहत जरूर मिलेगी.
  • पटाखों से निकलने वाले धुएं में सल्फर डाई ऑक्साइड की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे सांस की नलिकाएं सिकुड़ने लगती हैं और ब्रोकियल अस्थमा, साइनोसाइटस, निमोनिया और एलर्जिक ब्रोंकाइटिस जैसी परेशानियां बढ़ जाती हैं. इसलिए ऐसे लोग बम-पटाखों से दूरी बना कर ही रखें.
  • अगर बाहर निकलना बेहद जरूरी हो तो एन-95 मास्क लगा कर ही निकलें, क्योंकि यह मास्क हवा में मौजूद बारीक कणों को रोकने में भी सक्षम होता है. सांस के मरीजों के लिए इसे लगा कर सांस लेना काफी मुश्किल हो जाता है, इसलिए आप तीन लेयर वाला मास्क भी लगा सकते हैं.
  • बेहतर होगा अगर दिवाली से पहले ही आप एक बार अपने डॉक्टर से मिल लें और जान लें कि आपातकाल की स्थिति में क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए. हो सकता है वह आपकी दवा की मात्रा बढ़ा दें या कोई अन्य दवा दें.

बस, ये सावधानी बरतें

पटाखों के धुएं से अस्थमा और सीओपीडी सरीखी सांस की समस्याओं से पीड़ित लोगों की समस्या में खासी बढ़ोत्तरी हो जाती है. धुएं और प्रदूषण भरे पर्यावरण से बचने का सबसे बेहतर विकल्प है कि वह घर की चारदीवारी में ही रहें. लेकिन भला यह कैसे सम्भव है. इस बाबत चिकित्सा विशेषज्ञ कहते हैं कि कोशिश करें कि धुएं में बाहर न निकलें. बाहर जाना भी पड़े तो सर्जिकल मास्क लगाकर ही जाएं. अगर ऐसे लोग पटाखों का लुत्फ लेना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि मास्क के साथ काफी ऊंचाई की जगह से दूर से जलते हुए पटाखों का आनंद लें. ऐसा इसलिए, क्योंकि ऊंचाई पर प्रदूषण का स्तर कुछ कम रहता है. बदलते मौसम में बढ़ती सांस की समस्या न उभरे, इसका इंतजाम आप पहले से भी कर सकते हैं.

योग मिटाएगा रोग

  • नियमित रूपसे योगाभ्यास करने वाले लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं से कम ही जूझना पड़ता है, क्योंकि योग हमारे नर्वस सिस्टम (नाड़ी तंत्र) को मजबूत बनाता है और शरीर को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करता है दरअसल यह एक ऐसी प्रामाणिक वैज्ञानिक पद्धति है, जिसका लाभ उठाने के लिए न तो बहुत ज्यादा खर्च करना पड़ता है और न ही ज्यादा साधनों की जरूरत होती है.
  • शंखासन जैसी योग मुद्राएं हमारी पाचन क्रिया को दुरुस्त रखती हैं, जिससे त्योहारों के दौरान उल्टा-सीधा खाना खा लेने पर भी हाजमे को ठीक रखा जा सकता है.
  • कपालभाति, प्राणायाम, भ्रामरी और अनुलोम-विलोम जैसी क्रियाएं हमारे श्वसन तंत्र और फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं और दिल की सेहत को भी दुरुस्त रखती हैं.
  • हालांकि आप अपनी सुविधानुसार अपने घर पर ही योग कर सकते हैं, लेकिन शुरुआती दौर में किसी प्रशिक्षक की देखरेख में ही योगाभ्यास की सलाह दी जाती है.

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Priya Srivastava

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About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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