दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पोषण साक्षरता पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हुआ. संगोष्ठी का आयोजन आईसीएसएसआर, नई दिल्ली के सहयोग से ‘विकसित भारत-2047’ प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया गया था. समापन सत्र के मुख्य अतिथि एम्स गोरखपुर के स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन डॉ अशोक जाह्नवी प्रसाद थे. मुख्य वक्ता के रूप में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र और चितकारा यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर प्रो. अमित मित्तल उपस्थित थे.
प्रो. गिरीश्वर मिश्रा ने भारत की ज्ञान परंपरा और विचार के आधार पर न्यूट्रीशनल लिटरेसी पर चर्चा करते हुए आयुर्वेदिक आहार पद्धति के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि भारतीय विचार में समग्र स्वास्थ्य की संकल्पना है, जो शरीर, आत्मा और मन के समन्वय से साकार होती है.
मुख्य अतिथि डॉ अशोक जाह्नवी प्रसाद ने पुरानी दंड संहिता में चित्त विकृति से संबंधित प्रावधानों की व्याख्या करते हुए विभिन्न देशों के आपराधिक कानूनों से तुलना की. उन्होंने मानसिक विकृति से संबंधित भारतीय विधि को अधिक तार्किक बनाने की आवश्यकता बताई. प्रो. अमित मित्तल ने एसडीजी के आधार पर स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विचार करने का सुझाव दिया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मनोविज्ञान विभाग के अध्यक्ष धनंजय कुमार ने मानव शरीर और मस्तिष्क के निर्माण में आहार की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने आहार की शुद्धता के आधार पर ही सकारात्मक विचार और स्वस्थ व्यक्ति एवं समाज की परिकल्पना को साकार करने की बात कही.
संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. विस्मिता पालीवाल ने संगोष्ठी की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए न्यूट्रीशनल लिटरेसी के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता बताई. समापन सत्र का संचालन डॉ आशीष शुक्ला एवं आभार ज्ञापन डॉ मनीष पांडेय ने किया.
इस दौरान अनेक शोध छात्र एवं पेपर प्रेजेंटर्स उपस्थित रहे. संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुति का वैज्ञानिक सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर शोध पत्रों का वाचन हुआ.