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DDUGU ने शोध के क्षेत्र में गढ़े नए मानक, पीएचडी, पेटेंट और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशनों में ऐतिहासिक वृद्धि

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गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) ने हाल के वर्षों में शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां दर्ज की हैं। विश्वविद्यालय में न केवल पीएचडी शोधार्थियों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रकाशनों (Scopus, Web of Science) और पेटेंट्स की संख्या में भी ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की गई है।

विश्वविद्यालय में पीएचडी शोधार्थियों की संख्या में निरंतर और तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है, जो DDUGU के शोध-केंद्रित दृष्टिकोण को दर्शाती है।

  • वर्ष 2020-21 में कुल 177 शोधार्थी (महिला 80, पुरुष 97) पंजीकृत थे।
  • यह संख्या 2023-24 में बढ़कर 692 तक पहुँच गई।
  • वर्तमान सत्र 2024-25 में यह संख्या रिकॉर्ड 884 (महिला 412, पुरुष 472) तक पहुँच गई है।

इस वृद्धि को विश्वविद्यालय की पारदर्शी प्रवेश प्रक्रिया, नवाचार-समर्थक वातावरण और समावेशी शैक्षणिक संस्कृति का परिणाम माना जा रहा है। महिला शोधार्थियों की बढ़ती भागीदारी भी विश्वविद्यालय के प्रोत्साहनकारी माहौल को दर्शाती है।

Scopus और Web of Science प्रकाशनों में तेज़ उछाल

विश्वविद्यालय के शिक्षक और शोधार्थी अब वैश्विक स्तर के जर्नलों में सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। Scopus डेटाबेस के अनुसार, शोध प्रकाशनों में तीव्र वृद्धि दर्ज की गई है:

  • वर्ष 2020 में 98 प्रकाशन दर्ज हुए थे।
  • वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर 312 तक पहुँच गई।
  • वर्ष 2025 में अब तक 175 प्रकाशन दर्ज हो चुके हैं।

इसी प्रकार, Web of Science के अनुसार भी शोध-पत्रों की संख्या लगातार बढ़ी है, जो वर्ष 2021 में 104 से बढ़कर वर्ष 2024 में 176 हो गई है। यह वृद्धि विश्वविद्यालय के शोध की गुणवत्ता और सामाजिक प्रासंगिकता को सिद्ध करती है।

पिछले दो वर्षों में विश्वविद्यालय द्वारा दाखिल और स्वीकृत पेटेंट्स की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कुलपति प्रो० पूनम टंडन ने इन उपलब्धियों को विश्वविद्यालय का ‘स्वर्णिम काल’ बताया।

प्रो० टंडन ने कहा, “दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोध के क्षेत्र में यह अभूतपूर्व वृद्धि हमारे समर्पित शिक्षकों, सुदृढ़ शैक्षणिक वातावरण और पारदर्शी शोध प्रक्रिया का परिणाम है। हमारा उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण एवं सामाजिक रूप से प्रासंगिक शोध को प्रोत्साहित करना है, जिससे क्षेत्रीय और राष्ट्रीय विकास में योगदान सुनिश्चित हो सके।”

उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय की नई शोध नीति, उन्नत प्रयोगशालाएं, डिजिटाइज्ड संसाधन और अंतरविषयी अध्ययन की पहल ने गोरखपुर विश्वविद्यालय को देश के अग्रणी शोध संस्थानों की पंक्ति में ला खड़ा किया है।


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गो गोरखपुर ब्यूरो

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