गोरखपुर: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग द्वारा एक विशेष कविता पाठ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने अटल जी के बहुआयामी व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला, खासकर उनके राजनेता से पहले कवि होने की पहचान को प्रमुखता से रेखांकित किया।
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अटल जी का बहुआयामी व्यक्तित्व
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. आमोद राय ने अपने संबोधन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि अटल जी का व्यक्तित्व सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि साहित्यिक और वैचारिक भी था। डॉ. राय ने अटल जी के प्रसिद्ध कथन को दोहराते हुए कहा, “अटल जी ने स्वयं कहा था कि मैं सबसे पहले कवि हूं फिर राजनेता।” उन्होंने यह भी बताया कि अटल जी प्रायः संसद में भी विपक्षियों के प्रश्नों का उत्तर कविता के माध्यम से ही देते थे, जो उनकी वाक्पटुता और काव्य प्रेम को दर्शाता है। यह आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी वर्ष के महत्व को दर्शाता है।
10 छात्रों ने किया कविता पाठ
इस विशेष अवसर पर विभाग के लगभग 10 छात्रों ने कविता पाठ किया। छात्रों ने अटल जी की कविताओं का पाठ करने के साथ-साथ उनके जीवन दर्शन से प्रेरित अपनी रचनाएँ भी प्रस्तुत कीं, जिससे पूरा वातावरण काव्यमय हो गया। कार्यक्रम में स्नातक, परास्नातक एवं शोध के छात्र/छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम को सफल बनाने में विभागीय शिक्षकों और समन्वयकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस अवसर पर विभागीय समन्वयक डॉ. देवेन्द्र पाल, डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. रंजनलता, डॉ. स्मिता द्विवेदी, डॉ. मृणालिनी, डॉ. कुलदीपक शुक्ल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन कार्यक्रम-संयोजक डॉ. धर्मेन्द्र कुमार सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम सह-संयोजक डॉ. ज्ञानधर भारती ने किया।