गोरखपुर: सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन गोरखपुर के चुनाव को लेकर अब कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। बार एसोसिएशन का 1 वर्ष का निर्धारित कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त हो चुका है, लेकिन वर्तमान कार्यकारिणी ने अभी तक चुनाव की कोई घोषणा नहीं की है। इससे क्षुब्ध होकर सिविल कोर्ट बार के वरिष्ठ सदस्य एडवोकेट अनूप शुक्ला ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर कर तत्काल चुनाव कराने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ता ने बार में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया है, क्योंकि वर्तमान कार्यकारिणी बायलॉज के विपरीत लगभग 20 महीने से पद पर बनी हुई है और अब वह ‘कालातीत’ हो चुकी है।
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गोरखपुर बार एसोसिएशन का अनियमित लंबा कार्यकाल
सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन गोरखपुर की बायलॉज के अनुसार, कार्यकारिणी का कार्यकाल केवल 1 वर्ष का होता है। बायलॉज में यह भी प्रावधान है कि विशेष परिस्थितियों में एल्डर्स कमेटी की सिफारिश पर इसे अधिकतम एक माह के लिए ही बढ़ाया जा सकता है। हालाँकि, वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल निर्धारित सीमा का उल्लंघन करते हुए लगभग 20 महीने का हो चुका है। कार्यकाल समाप्त हुए महीनों बीत जाने के बावजूद, कार्यकारिणी द्वारा नए चुनाव की कोई पहल नहीं की गई है, जिससे यह कार्यकारिणी अब ‘कालातीत’ (कार्यकाल समाप्त) मानी जा रही है।
एडवोकेट अनूप शुक्ला ने हाईकोर्ट से की अपील
इस अनियमितता को देखते हुए, सिविल कोर्ट बार के वरिष्ठ सदस्य श्री अनूप शुक्ला एडवोकेट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। अपनी याचिका के माध्यम से उन्होंने उच्च न्यायालय से तत्काल आदेश पारित कर सिविल कोर्ट बार एसोसिएशन गोरखपुर के चुनाव कराने की अपेक्षा की है। श्री शुक्ल ने स्पष्ट किया कि कार्यकाल समाप्त होने के कारण वर्तमान कार्यकारिणी को अब बार के संबंध में कोई भी निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, यह अधिकार केवल एल्डर्स कमेटी के पास है, जिसका अभी तक कोई खुलासा नहीं किया गया है।
लोकतांत्रिक परंपराओं को जीवित रखने की मांग
एडवोकेट अनूप शुक्ला ने बार एसोसिएशन में लोकतांत्रिक मूल्यों और परंपराओं को बनाए रखने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ और गतिशील बार के लिए तत्काल चुनाव कराया जाना नितांत आवश्यक है। वर्तमान कार्यकारिणी द्वारा चुनाव की घोषणा न करना सीधे तौर पर बार की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन है। याचिका का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि संस्था में नियम और कानून का पालन हो और नई, वैध कार्यकारिणी का गठन जल्द से जल्द हो सके।