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पहल: 100 बेड से कम वाले अस्पताल भी अब आयुष्मान योजना से जुड़ेंगे

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पहल: 100 बेड से कम वाले अस्पताल भी अब आयुष्मान योजना से जुड़ेंगे
पहल: 100 बेड से कम वाले अस्पताल भी अब आयुष्मान योजना से जुड़ेंगे

Gorakhpur: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की जिला कार्यकारिणी की पहली बैठक में नए अस्पतालों के पंजीकरण और नवीनीकरण में हो रही देरी को लेकर चर्चा हुई। डॉक्टरों ने इस समस्या से निपटने के लिए सीएमओ कार्यालय में सिंगल विंडो सिस्टम की सुविधा शुरू करने की मांग की। साथ ही, जिले में 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान योजना से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।

रविवार को बुद्ध विहार स्थित आईएमए भवन में हुई बैठक में आईएमए के सचिव डॉ. वाई सिंह ने बताया कि संगठन जल्द ही एक ब्लड बैंक स्थापित करने की योजना बना रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि आईएमए में पीएमएस संवर्ग के चिकित्सकों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। इसके अलावा, 100 बेड से कम क्षमता वाले अस्पतालों को आयुष्मान योजना से जोड़ने की पहल की जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

आईएमए गोरखपुर की नई कार्यकारिणी की पहली बैठक रविवार को संपन्न हुई.
आईएमए गोरखपुर की नई कार्यकारिणी की पहली बैठक रविवार को संपन्न हुई.

बैठक की अध्यक्षता आईएमए गोरखपुर शाखा की अध्यक्ष डॉ. प्रतिभा गुप्ता ने की। इस दौरान पूर्व अध्यक्ष डॉ. एके श्रीवास्तव और डॉ. वीबी शुक्ला विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। बैठक में डॉ. गगन गुप्ता, डॉ. आरपी त्रिपाठी, डॉ. आरबी द्विवेदी, डॉ. गीता द्विवेदी, डॉ. नरेश अग्रवाल, डॉ. दिनेश कुमार सिंह, डॉ. दिनेश चंद्रा, डॉ. अमित मिश्रा, डॉ. संजीव सिंह, डॉ. रितेश कुमार, डॉ. अंजू जैन, डॉ. अश्विनी अग्रवाल, डॉ. एपी गुप्ता, डॉ. भारतेंद्र जैन, डॉ. पीसी शाही, डॉ. अमरेश सिंह, डॉ. अभिनीत बाजपेई, डॉ. मनीष गुप्ता, डॉ. नवेन्दु राय और डॉ. क्षेत्रपाल यादव जैसे गणमान्य लोग शामिल हुए।

आईएमए बैठक के प्रमुख एजेंडे:

  • वरिष्ठ सदस्यों के लिए राहत: 70 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सदस्यों का वार्षिक शुल्क माफ करने या स्वैच्छिक बनाने पर विचार करना।
  • क्विक एक्शन ग्रुप को मजबूत करना: संगठन की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए क्विक एक्शन ग्रुप को और अधिक सशक्त बनाना।
  • आयुष्मान योजना की समस्याओं का समाधान: आयुष्मान योजना से जुड़ी समस्याओं को उच्चाधिकारियों और मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाना ताकि चिकित्सकों के पक्ष में निर्णय हो सके।
  • टीम भावना को बढ़ावा: संगठन में गुटबाजी को समाप्त करके सभी सदस्यों के साथ समान व्यवहार करना।
  • नए सदस्यों की भागीदारी बढ़ाना: नए सदस्यों को बैठकों में अधिक से अधिक शामिल करना।

प्रिया श्रीवास्तव

About Author

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक. गोगोरखपुर.कॉम के लिए हेल्थ, सिनेमा, टेक और फाइनेंस बीट पर रिसर्च करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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