अयोध्या के राजा और श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जानें उनके जीवन, राम मंदिर आंदोलन में योगदान और राजनीतिक सफर के बारे में।
अयोध्या: अयोध्या के राजा के रूप में लोकप्रिय विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र का 71 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने शनिवार रात 12 बजे अपने अयोध्या स्थित आवास पर अंतिम सांस ली। विमलेंद्र मोहन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सम्मानित सदस्य थे और अयोध्या के राजा दर्शन सिंह की वंशावली से जुड़े थे।
विमलेंद्र मोहन का अंतिम संस्कार रविवार दोपहर 12 बजे सरयू नदी के तट पर किया गया। उनके छोटे भाई शैलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने बताया कि शनिवार रात करीब 11 बजे उनका ब्लड प्रेशर अचानक गिर गया, जिसके बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनकी पत्नी ज्योत्स्ना मिश्र का पिछले साल ही निधन हो गया था। उनके पुत्र यतींद्र मिश्र एक प्रख्यात साहित्यकार और कवि हैं, जबकि पुत्री मंजरी मिश्र हैं।
विमलेंद्र मोहन ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी ही जमीन पर न्यास कार्यशाला में राम मंदिर के लिए पत्थरों की तराशी हुई थी, जिसे बाद में उन्होंने ट्रस्ट को दान कर दिया। 1992 में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद उन्होंने रामलला के लिए चांदी का सिंहासन भेंट किया। 5 फरवरी 2020 को भूमि पूजन के दौरान भी उन्होंने रामलला और उनके तीनों भाइयों के लिए भव्य चांदी का सिंहासन दान दिया था। जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया, तब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ट्रस्ट के लिए चुने गए पहले वरिष्ठ सदस्य वे ही थे।
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राजनीति और व्यक्तिगत जीवन: विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ने साल 2009 में फैजाबाद लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली। बचपन में उनका जीवन कड़ी सुरक्षा के बीच बीता था, क्योंकि वे कई पीढ़ियों बाद पुरुष उत्तराधिकारी के रूप में जन्मे थे।
उनके निधन पर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि विमलेंद्र मोहन केवल नाम के नहीं, बल्कि दिल के भी राजा थे। वहीं, बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने भी उनके निधन पर दुख जताते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।
यह खबर अयोध्या और उसके आस-पास के क्षेत्रों में शोक की लहर लेकर आई है, क्योंकि विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को लोग न केवल एक राजा के रूप में बल्कि एक जनप्रिय व्यक्ति के रूप में भी जानते थे।