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एम्स गोरखपुर में पहली सफल कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी, 75 वर्षीय महिला को मिलेगी नई रोशनी

गोरखपुर एम्स
एम्स गोरखपुर में पहली बार सफल कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी, 75 वर्षीय महिला को मिली नई दृष्टि। जानें इस उपलब्धि और नेत्रदान के महत्व के बारे में।

गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर ने चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया है। कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, एसएम (सेवानिवृत्त) के कुशल मार्गदर्शन में, संस्थान में पहली बार कॉर्निया प्रत्यारोपण (Penetrating Keratoplasty) की सफल सर्जरी की गई है। यह उपलब्धि गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों के लिए चिकित्सा सुविधाओं में एक बड़ा सुधार है।

75 वर्षीय महिला को मिली नई उम्मीद

इस सफल सर्जरी से एक 75 वर्षीय महिला मरीज को लाभ मिला है, जो पिछले पांच वर्षों से एक आंख की कॉर्नियल ब्लाइंडनेस से पीड़ित थीं। उनकी यह स्थिति मोतियाबिंद सर्जरी के जटिल परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुई थी। एम्स के चिकित्सकों के अनुसार, सर्जरी के बाद अब उन्हें 5 से 7 दिनों में दृष्टि लौटने की संभावना है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

विशेषज्ञ टीम का सराहनीय कार्य

इस जटिल प्रक्रिया को नेत्र रोग विशेषज्ञों की एक समर्पित टीम ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस टीम में डॉ. अलका त्रिपाठी, डॉ. नेहा सिंह, डॉ. ऋचा अग्रवाल, डॉ. अमित सिंह के साथ-साथ रेज़िडेंट डॉक्टर साक्षी, डॉ. निवेदिता, डॉ. शगुन और डॉ. मैत्रेयी शामिल थीं। ऑपरेशन के दौरान नर्सिंग ऑफिसर प्राची और दिव्या ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह टीम वर्क एम्स गोरखपुर की उच्च स्तरीय चिकित्सा क्षमताओं को दर्शाता है।

नेत्रदान का महत्व और जागरूकता

इस महत्वपूर्ण प्रत्यारोपण के लिए कॉर्निया वाराणसी स्थित लायंस आई बैंक से प्राप्त किया गया, जो नेत्रदान के क्षेत्र में एक प्रमुख संस्था है। भारत में वर्तमान में लगभग 11 लाख लोग कॉर्नियल अंधत्व से ग्रसित हैं और प्रतिवर्ष 25,000 से अधिक नए मामले सामने आते हैं। दुर्भाग्यवश, कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए आवश्यक दान की संख्या अभी भी बहुत कम है। एम्स गोरखपुर की यह पहल समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। नेत्रदान मृत्यु उपरांत किया जाने वाला एक पूर्णतः स्वैच्छिक, निःस्वार्थ और सामाजिक कल्याणकारी कार्य है। मृत व्यक्ति के परिजन उनकी इच्छा के बिना भी नेत्रदान की अनुमति दे सकते हैं।

एम्स गोरखपुर द्वारा की गई यह पहली कॉर्निया सर्जरी केवल एक चिकित्सा उपलब्धि नहीं, बल्कि समाज में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाने की दिशा में एक मजबूत संदेश है। यह सफलता आने वाले समय में अनेक दृष्टिहीनों के जीवन में उजाला लाने की दिशा में एक मजबूत आधार बनेगी।

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Priya Srivastava

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About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

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