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बॉलीवुड में सपनों को पूरा करने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है: मधुर भंडारकर

बॉलीवुड में सपनों को पूरा करने की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है: मधुर भंडारकर

गोरखपुर: शहर में आयोजित गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के आठवें संस्करण में प्रख्यात फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर ने शिरकत की। गुफ्तगू सत्र के दौरान उन्होंने अपने जीवन के अनछुए पहलुओं और बॉलीवुड की चकाचौंध के पीछे छिपे अंधेरे सच पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए व्यक्ति को एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। भंडारकर के अनुसार आत्मविश्वास ही वह कुंजी है जो किसी भी व्यक्ति को संघर्ष के समय में टूटने से बचाती है और उसे सफलता के मार्ग पर आगे ले जाती है।

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गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल में सिनेमाई हकीकत पर चर्चा

फिल्म निर्माण की अपनी विशिष्ट शैली के बारे में बताते हुए मधुर भंडारकर ने कहा कि उनकी फिल्में सत्तर प्रतिशत वास्तविकता और तीस प्रतिशत नाटकीयता का मिश्रण होती हैं। उन्हें आम लोगों के बीच जाकर शोध करना और समाज के डार्क साइड को पर्दे पर उतारना पसंद है। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि फिल्म इंडस्ट्री को उनकी फिल्में जैसे सत्ता, पेज थ्री और कॉर्पोरेट तो पसंद आईं, लेकिन जब उन्होंने फिल्म हिरोइन के जरिए इंडस्ट्री का ही सच सामने रखा, तो उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।

वीडियो कैसेट बेचने से शुरू हुआ मधुर भंडारकर का सफर

अपने शुरुआती दिनों के संघर्ष को याद करते हुए मधुर भंडारकर भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि वह एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे और मात्र 14 वर्ष की आयु में उन्होंने वीडियो कैसेट बेचने का काम शुरू किया था। आर्थिक तंगहाली के उस दौर में उन्हें काम की तलाश में मस्कट तक जाना पड़ा था। बचपन से ही सिनेमा देखने के शौक ने उन्हें फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि सफलता के रास्ते में निराश होना एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे डरने के बजाय डटकर मुकाबला करना चाहिए।

अगले साल रिलीज होगी नई फिल्म वाइफ

भविष्य की योजनाओं का खुलासा करते हुए निर्देशक ने बताया कि वह जल्द ही अपनी नई फिल्म वाइफ लेकर आ रहे हैं। यह फिल्म पूरी तरह से महिलाओं के जीवन और उनके संघर्षों पर केंद्रित होगी, जिसे अगले साल सिनेमाघरों में रिलीज किया जाएगा। इस कार्यक्रम के दौरान साहित्य और कला का संगम भी देखने को मिला, जहाँ कलाकारों ने कबीर क्रांति का शंखनाद नाटक का मंचन कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस फेस्टिवल में मधुर भंडारकर की मौजूदगी ने सिनेमा प्रेमियों और उभरते कलाकारों को नई ऊर्जा प्रदान की।


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Jagdish Lal

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हिंदी पत्रकारिता से करीब चार दशकों तक सक्रिय जुड़ाव. संप्रति: लेखन, पठन-पाठन.

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