गोरखपुर में पूर्व विधायक के बंगले का विवाद गहराया। सुप्रीम कोर्ट से भाइयों के केस हारने के बाद अब बहन ने ठोका अपना दावा। जानिए क्या है पूरा मामला!
गोरखपुर: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गोरखपुर में पूर्व विधायक दिवंगत केदारनाथ सिंह के बंगले को खाली करने का मामला अब एक नया मोड़ ले चुका है। जहां उनके दोनों बेटों, अजय सिंह उर्फ राकेश और डॉ. आदित्य ने बंगला खाली कर दिया है, वहीं उनकी बड़ी बेटी निशा सिंह ने इस बंगले पर अपना हक जताते हुए सिविल कोर्ट में एक नया मुकदमा दायर किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होनी है।
क्या है निशा सिंह का दावा?
निशा सिंह का कहना है कि वह बचपन से ही इस घर में रही हैं और उन्हें ऑकलैंड कमर्शियल कंपनी के निदेशक समीर कुमार अग्रवाल और अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने इस मामले में पार्टी नहीं बनाया, जबकि इस बंगले से उनका सीधा संबंध है। निशा ने कोर्ट में अपनी अपील में कहा है कि उनके पिता, पूर्व विधायक केदारनाथ सिंह, ने इस बंगले को 14 जून 1982 को मुग्गन सहाय से 72.81 रुपये प्रति माह के किराए पर लिया था। बाद में यह किराया कोर्ट में जमा होने लगा था।
बिक्री के बाद शुरू हुआ विवाद
30 मार्च 2003 को मुग्गन सहाय ने यह बंगला समीर कुमार अग्रवाल और अवधेश कुमार श्रीवास्तव को बेच दिया। निशा के मुताबिक, नए मालिकों को भी वे किराया दे रही थीं, जो पहले 1500 रुपये था। लेकिन, बाद में मकान मालिकों ने इसे बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रति माह करने की मांग की। जब निशा ने इतनी बड़ी रकम देने में असमर्थता जताई, तो उन्हें घर खाली करने की धमकी दी गई।
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भाई के हारने पर बहन ने ठोका केस
इस बीच, जिला प्रशासन ने बंगले को फ्री होल्ड करने का आदेश दिया, जिसके खिलाफ निशा के भाई अजय सिंह सुप्रीम कोर्ट गए, लेकिन वहां वे केस हार गए। अपने भाई के हारने के बाद, निशा सिंह ने 15 मई को सिविल कोर्ट में समीर अग्रवाल और अवधेश श्रीवास्तव के खिलाफ वाद दायर किया। फिलहाल, इस मामले की सुनवाई चल रही है और सबकी निगाहें 8 सितंबर 2025 की अगली सुनवाई पर टिकी हैं।