दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 44वें दीक्षांत समारोह में विज्ञान प्रदर्शनी 'एक्सप्लोरिंग बियॉन्ड बाउंड्रीज' का आयोजन हुआ। कुलाधिपति ने प्रदर्शनी की सराहना की, जिसमें 'हाइपरलूप ट्रेन' मॉडल ने सबका ध्यान खींचा।
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के 44वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर आज गंभीरनाथ प्रेक्षागृह में विज्ञान संकाय द्वारा एक अद्भुत विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। “एक्सप्लोरिंग बियोंड बाउंड्रीज – साइंस फॉर सोसाइटी, साइंस फॉर ह्यूमैनिटीज” थीम पर आधारित इस प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने अपने अभिनव विचारों और रचनात्मकता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
कुलाधिपति और कुलपति ने की सराहना
प्रदर्शनी का उद्घाटन माननीय कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल और कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने किया। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी कार्यशील मॉडलों और परियोजनाओं की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को भविष्य में भी इसी तरह के उत्कृष्ट वैज्ञानिक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रमुख मॉडल और परियोजनाएँ
प्रदर्शनी में विभिन्न विभागों के छात्रों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। फिजिक्स विभाग के “आयनिक थ्रस्टर” और “हाइपरलूप ट्रेन: भविष्य की परिवहन तकनीक” जैसे मॉडलों ने विशेष ध्यान आकर्षित किया। वनस्पति विज्ञान विभाग ने “जलवायु परिवर्तन का खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव” और “फॉस्फोरस चक्र में शैवाल की भूमिका” जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मॉडल प्रस्तुत किए।
इसके अतिरिक्त, सूक्ष्मजीव विज्ञान विभाग का “क्रिस्पर-कैस 9 तकनीक: आनुवंशिक विकारों के उपचार हेतु एक मॉडल”, फार्मेसी विभाग का “हाइड्रोपोनिक तकनीक” और “ताली आधारित लाइट स्विच ऑन-ऑफ” मॉडल भी सराहनीय रहे। मत्स्य विज्ञान और रक्षा अध्ययन विभाग ने भी क्रमशः “सतत एकीकृत मछली पालन” और “आई.एन.एस. विक्रमादित्य” पर प्रभावी मॉडल प्रदर्शित किए।
‘हाइपरलूप ट्रेन’ मॉडल ने बटोरी सुर्खियां
प्रदर्शनी का सबसे बड़ा आकर्षण रंजना, मीनाक्षी और प्रियेश द्वारा प्रस्तुत ‘हाइपरलूप ट्रेन: भविष्य की परिवहन तकनीक’ मॉडल रहा। इस मॉडल में उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे भविष्य में यह तकनीक परिवहन की दिशा में क्रांति ला सकती है। इस मॉडल को दर्शकों और अतिथियों से व्यापक सराहना प्राप्त हुई।
कार्यक्रम का सफल संयोजन डॉ. अपरा त्रिपाठी ने किया, जिसमें डॉ. सिंटू कुमार, डॉ. राकेश पांडेय और अन्य कई शिक्षकों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। प्रदर्शनी ने न केवल छात्रों की वैज्ञानिक प्रतिभा को उजागर किया बल्कि शोध-आधारित प्रयोगों और नवीन विचारों को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हुआ।