भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ को मिला नया लोगो। राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोरखपुर विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. गौरी शंकर चौहान का डिज़ाइन चुना गया। यह लोगो उत्तर प्रदेश की समृद्ध संस्कृति को दर्शाता है।
गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को एक नई पहचान देते हुए, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ ने अपनी राष्ट्रीय स्तर की लोगो डिज़ाइन प्रतियोगिता का परिणाम घोषित कर दिया है। इस प्रतियोगिता में देशभर से आई 451 प्रविष्टियों में से दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के ललित कला एवं संगीत विभाग के आचार्य प्रोफेसर डॉ. गौरी शंकर चौहान द्वारा तैयार किया गया लोगो सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया है। अब यही लोगो विश्वविद्यालय के आधिकारिक प्रतीक चिन्ह के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हुआ विमोचन
प्रतियोगिता के विजेता लोगो का विमोचन उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि “यह नया लोगो प्रदेश की गहन सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक आकांक्षाओं का संतुलित प्रतीक है, जो विश्वविद्यालय की गरिमा को और अधिक ऊँचाइयों तक ले जाएगा।” जल्द ही लखनऊ में एक सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा, जहाँ डॉ. चौहान को औपचारिक रूप से सम्मानित किया जाएगा।
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बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं डॉ. चौहान
यह पहली बार नहीं है जब डॉ. गौरी शंकर चौहान ने अपनी कला का परिचय दिया है। उन्होंने इससे पहले भी जयपुर राजा महेंद्र सिंह रज्जू भैया विश्वविद्यालय, अलीगढ़ और देवी मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर के लिए लोगो डिज़ाइन किया है। इतना ही नहीं, उन्होंने मलेशिया के राष्ट्रपति भवन के इंटीरियर डिज़ाइन का कार्य भी सफलतापूर्वक पूरा किया है। उनके कार्यों में भारतीय संस्कृति की गहराई के साथ-साथ एक वैश्विक दृष्टिकोण की झलक भी देखने को मिलती है।
पूरे विश्वविद्यालय परिवार में खुशी का माहौल
डॉ. चौहान की इस उपलब्धि पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय परिवार में हर्ष की लहर है। कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि “यह हमारे विश्वविद्यालय के लिए गर्व का क्षण है। डॉ. चौहान की इस उपलब्धि से प्रेरणा लेकर अन्य शिक्षक और छात्र भी नई ऊँचाइयाँ प्राप्त करेंगे।” अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर अनुभूति दुबे और ललित कला एवं संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर उषा सिंह ने भी डॉ. चौहान को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। इस उपलब्धि से न केवल भातखंडे विश्वविद्यालय, बल्कि गोरखपुर विश्वविद्यालय का भी गौरव बढ़ा है।