एम्स गोरखपुर में पुलिस अधिकारियों के लिए फॉरेंसिक मेडिसिन पर विशेष प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पुलिस और चिकित्सा अधिकारियों के बीच समन्वय बढ़ाकर न्याय प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाना है। जानिए कैसे यह पहल पूर्वांचल में न्याय व्यवस्था को सशक्त करेगी।
गोरखपुर: न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और फॉरेंसिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से एम्स गोरखपुर में पुलिस अधिकारियों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह ‘ओरिएंटेशन प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रम’ एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित किया गया। इसका उद्देश्य पुलिस और चिकित्सा अधिकारियों के बीच तालमेल को बेहतर बनाना है, जो आपराधिक मामलों की जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह पहल एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता के मार्गदर्शन में पूरी हुई।
फॉरेंसिक मेडिसिन में विशेष प्रशिक्षण
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण में पुलिस अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन जानकारी दी गई। इनमें अपराध स्थल के वैज्ञानिक प्रबंधन, सबूतों की श्रृंखला (Chain of Custody) को सुरक्षित रखना और जैविक नमूनों का सही तरीके से संरक्षण एवं परिवहन शामिल था। इसके अलावा, विधिक दस्तावेजीकरण और चिकित्सीय एवं जांच टीमों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने पर भी विशेष जोर दिया गया। इस कार्यक्रम में एम्स के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग की टीम—डॉ. मनोज बी. पर्चाके, डॉ. यशवंत कुमार सिंह, डॉ. आशीष सराफ और डॉ. नवनीत अटेरीया—ने प्रशिक्षण दिया। इस तरह की संयुक्त पहल से पूर्वी उत्तर प्रदेश में कानूनी और वैज्ञानिक कार्यों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने में मदद मिलेगी।
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जनस्वास्थ्य में पूर्वांचल के लिए विशेष पहल
इसी तरह की एक अन्य महत्वपूर्ण पहल में, एम्स गोरखपुर के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग में ‘प्रॉब्लम सॉल्विंग इन पब्लिक हेल्थ (पीएसपीएच)’ प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। पूर्वांचल के 21 जनपदों में कार्यरत जनपदीय एपिडेमियोलॉजिस्ट के लिए यह चार दिवसीय प्रशिक्षण है। इसका उद्देश्य जनस्वास्थ्य की समस्याओं की पहचान करना और उनका समाधान खोजना है। एम्स गोरखपुर और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के सहयोग से पिछले वर्ष इस प्रशिक्षण की सफलता के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे अपने खर्च पर कराने का निर्णय लिया है। यह प्रशिक्षण राज्य के जनस्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में एक मील का पत्थर साबित होगा।
मेजर जनरल (डॉ.) विभा दत्ता, कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ, एम्स गोरखपुर: “न्याय सुनिश्चित करने में चिकित्सा अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों के बीच तालमेल अत्यंत आवश्यक है। विधिक-वैज्ञानिक कार्य की विश्वसनीयता वैज्ञानिक पद्धतियों की सूक्ष्मता, विभागीय समन्वय और सत्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।”
डॉ. मनोज पर्चाके, विभागाध्यक्ष, फॉरेंसिक मेडिसिन एवं टॉक्सिकोलॉजी विभाग, एम्स गोरखपुर: “यह संयुक्त प्रशिक्षण पूर्वी उत्तर प्रदेश में विधिक-वैज्ञानिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता, विश्वसनीयता एवं उत्तरदायित्व को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।”