कार्रवाई: देवरिया प्रशासन ने तीन करोड़ की संपत्ति जब्त की 

Go Gorakhpur: अपराध में माफिया के लिए गोरखपुर दशकों से बदनाम रहा है, लेकिन यहां शिक्षा के क्षेत्र में माफिया भी है. इस माफिया के पास न तो गोली है, न बंदूक लेकिन करतूतें ऐसी कि पुलिस ने ‘माफिया‘ के रूप में ही ट्रीट किया. शनिवार को जब पुलिस ने माफिया की तीन करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की तो एक बार फिर चर्चा चल पड़ी कि किस तरह से उसने ठगी का जाल बिछाकर अकूत दौलत कमाई.
पुलिस कस्टडी में राकेश (File Photo)

Go Gorakhpur: अपराध में माफिया के लिए गोरखपुर दशकों से बदनाम रहा है, लेकिन यहां शिक्षा के क्षेत्र में माफिया भी है. इस माफिया के पास न तो गोली है, न बंदूक लेकिन करतूतें ऐसी कि पुलिस ने ‘माफिया‘ के रूप में ही ट्रीट किया. शनिवार को जब पुलिस ने माफिया की तीन करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की तो एक बार फिर चर्चा चल पड़ी कि किस तरह से उसने ठगी का जाल बिछाकर अकूत दौलत कमाई.

मूल रूप से देवरिया के भाटपाररानी क्षेत्र के कुईचवर गांव का रहने वाला राकेश सिंह 2009 में सिद्धार्थ नगर जिले में इटवा विकास खंड के एक प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त हुआ था. विभाग से जुड़ने के कुछ ही दिनों के अंदर उसने विभाग की खामियों को बखूबी समझ लिया. तब के हालात ऐसे थे कि उसे भरोसा हो गया कि दस्तावेजों में तीन-पांच करके आसानी से नियुक्ति कराई जा सकती है और कोई पूछने वाला नहीं होगा. उसका यह दांव चल निकला. शुरू में वह दो लोगों को फर्जी दस्तावेज के सहारे शिक्षक के रूप में भर्ती कराने में कामयाब हुआ. इसके बाद हौसला बढ़ा तो यह संख्या हर वर्ष बढ़ने लगी. पुलिस के सामने राकेश ने फर्जी नियुक्ति पत्र व अंक पत्र आदि के माध्यम से धन लेकर बेरोजगारों को फर्जी तरीके से भर्ती कराना स्वीकार किया था. साथ ही उसने 12 फर्जी शिक्षकों के जनपद में नियुक्त होने व बीएसए कार्यालय में तैनात रह चुके लिपिकों की संलिप्तता को भी स्वीकार किया था. राकेश के खिलाफ देवरिया में आठ, गोरखपुर में एक व सिद्धार्थ नगर में दो मुकदमे दर्ज हैं.

राकेश की गिरफ्तारी इसी साल 30 मई को हुई. सिद्धार्थ नगर पुलिस ने उस पर गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई की. लेकिन राकेश शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जीती-जागती मिसाल है. 2009 में अपनी नियुक्ति के बाद करीब एक दशक तक वह विभाग में निरंकुश ढंग से मनमानी करता रहा. जिले में बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी दिलाने का खेल, शिक्षक राकेश सिंह के आने के बाद शुरू हुआ. वर्ष 2018-19 में शिक्षकों की भर्ती के मामले में फर्जीवाड़ा होने की शिकायत शासन तक पहुंची तो उसकी जांच एसटीएफ को सौंप दी गई. जांच में जुटी एसटीएफ गोरखपुर की टीम ने बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षकों को बेनकाब करते हुए साक्ष्य निकाले. जांच में जुटी टीम जब तह तक गई तो बढ़नी ब्लॉक खड़कुईया नानकार गांव में बतौर शिक्षक तैनात राकेश सिंह (निवासी कुंईचवर थाना भाटपार रानी जनपद देवरिया) गिरोह का सरगना निकला. जांच में जुटी एसटीएफ ने उसे दबोच लिया. कुछ दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आया और फिर बहाल होकर नौकरी करने लगा. मामले की जांच जारी रही. 28 मई 2022 को गिरोहबंद अपराध के मामले में गैंगस्टर की कार्रवाई हुई. 29 मई को मोहाना थाने की पुलिस ने अपने यहां दर्ज हुए तीन मामलों में दबोचा. इस साल मई में उसके एक बार फिर जेल जाने और गैंगस्टर की कार्रवाई होने पर उसे निलंबित कर दिया.

फर्जी दस्तावेज के सहारे नौकरी दिलाने वाले गिरोह का सरगना राकेश सिंह आज सलाखों के पीछे है, लेकिन उसकी काली कमाई पर अब भी पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई जारी है. शनिवार को जिलाधिकारी सिद्धार्थ नगर की संस्तुति पर देवरिया के जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने माफिया की संपत्ति जब्त की. देवरिया के बनकटा के जैतपुरा में 2 करोड़ 35 लाख 52 हजार की लागत वाले जेडीएस इंटरनेशनल स्कूल, 20 लाख की फॉर्च्युनर गाड़ी, और मां के नाम पर गोरखपुर के तुलसीराम में स्थित 44 लाख, 23 हजार कीमत का एक मंजिला मकान जब्त कर लिया.

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By गो गोरखपुर

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