GO GORAKHPUR: आपने बुधवार को सायं 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतरते देखा. इस सफलता में गोरखपुर के तीन युवा वैज्ञानिकों का भी हाथ है. चंद्रयान मिशन में शामिल होकर इन्होंने गोरखपुर का नाम अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में दर्ज कराने में कामयाबी पाई. देश के साथ साथ पूर्वांचलवासियों को इनपर गर्व है.
गोरखपुर के जिन तीन होनहार पुरातन छात्रों ने अपना अहम योगदान दिया है वे दीदउ गोरखपुर विवि व एमएमएमटीयू के हैं. इनमें एक हैं डॉ. पीडी मिश्रा. वे उस टीम में शामिल रहे हैं जिसने चंद्रयान-3 के सेटेलाइट की पोजिशनिंग व दूरी की गणना की. साथ ही एक-एक पल के बारे में लोगों को बताने की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास थी. डा.मिश्रा दीदउ के छात्र रहे हैं. वहीं जिस कैमरा और सेंसर से सुसज्जित चंद्रयान-3 ने सफलता की उड़ान भरी, उसे तैयार करनेवाली टीम में गोरखपुर के दंपती अम्मर यासिर व सना फिरोज शामिल हैं. इन दोनों ने एमएमएमयूटी से पढ़ाई की है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय और एमएमएमयूटी जहां अपने पूर्व छात्रों की सफलता पर फख्र महसूस कर रहा है वहीं घरवाले फूले नहीं समा रहे हैं. देवरिया जिले के रामपुर कारखाना क्षेत्र के हरपुर कला के मूल निवासी स्व. उमापति मिश्रा के पुत्र डॉ. पीडी मिश्रा ने स्नातक देवरिया के बीआरडी पीजी कॉलेज से की थी.
इसके बाद गोरखपुर यूनिवर्सिटी से वर्ष 2003 में गणित से एमएससी की पढ़ाई की. यहीं से 2006-07 में गणित से पीएचडी की डिग्री हासिल की. वर्तमान में वह इसरो के सेंटर श्रीहरिकोटा में वैज्ञानिक एसएफ के पोस्ट पर तैनात हैं. डॉ. पीडी मिश्रा ने मीडिया को बताया कि चंद्रयान मिशन की सफलता की खबर आम हुई तो गांव से मां गायत्री देवी, बड़े भाई उमेश मिश्रा, भाई मार्कंडेय मिश्रा ने सबसे पहले फोन कर बधाई दी.
इसी तरह की कहानी वैज्ञानिक दंपति अम्मर और सना की भी है. चंद्रयान के लिए कैमरा व सेंसर तैयार करने वाले अम्मर व सना गोरखनाथ क्षेत्र के जाहिदाबाद के निवासी हैं. अम्मर यासिर ने एमएमएमयूटी से 2010 में इलेक्ट्रानिक्स से बीटेक किया.
साथ में ही मऊ जिले के छत्तपुर की निवासी और अब यासिन की पत्नी सना फिरोज भी थीं. दोनों की साथ में मोहाली में पोस्टिंग हुई. यासिर बताते हैं कि चंद्रायान-3 के लिए जिस दिन उनका चयन हुआ था, उसी दिन से उत्साहपूर्वक वे जुट गए थे. अम्मर यासिर के पिता प्रो. बदरे आलम अंसारी गोरखपुर विश्वविद्यालय में प्राणी विज्ञान विभाग में प्रोफेसर रह चुके हैं. वह बेटे और बहू की सफलता पर फूले नहीं समा रहे. उन्होंने कहा कि उनके परिवार के साथ गोरखपुर के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है.
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