Photo:@Heritage_fn

मेरा परिवार देश बंटवारे के पूर्व पेशावर (पाकिस्तान) के तलहटी गांव में रहता था. 1947 में देश की आजादी के वक्त अचानक वहां का माहौल काफी खराब हो गया. लूटपाट, मारकाट शुरू हो गई. वहां पर हिंदू, सिखों की जान को खतरा पैदा हो गया. कबायली लोगों ने अचानक हिंदू और सिख परिवारों पर हमला शुरू कर दिया था. हम लोगों की आंखों के सामने कई घर लूट लिए गए थे. पिता बचपन में ही हमारा साथ छोड़ गए थे. एक रात अचानक मेरी माता जी मुझे और मेरे भाई लेकर, अपना घर बार सब छोड़कर वहां से निकल गईं. पुश्तैनी खेत, खलिहान, संपत्ति और मकान सब कुछ पाकिस्तान में ही रह गया. उस समय मेरी आयु 11 वर्ष की रही होगी. मेरा छोटा भाई 10 साल का रहा होगा. हम लोगों के जत्थे में काफी लोग मार दिए गए थे. भारत पहुंचकर मां की भी सदमे से मौत हो गई. हम भाई-बहन अनाथ हो गए थे.
यह आपबीती है देश विभाजन की विभीषिका का दंश झेलने वाली 87 वर्षीय सुलोचना मल्होत्रा की. 75 साल पुरानी त्रासदी को याद कर वह भावुक हो जाती हैं. सुलोचना रविवार को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान एवं हेरिटेज फाउंडेशन की तरफ से प्राणी उद्यान में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित पांच दिवसीय फोटो प्रदर्शनी के समापन पर बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थीं.
श्रीमती सुलोचना ने बताया कि हम अनाथ भाई-बहन को किसी तरह कुछ रिश्तेदारों व लोगों की मदद से सोनीपत में राहत शिविर में जगह मिली. बाद में हमें कुरुक्षेत्र रिफ्यूजी कैंप में रखा गया. वहां से मेरे मामा हरिद्वार ले गए. बाद में मेरे भाई ने वहां पर एक डॉक्टर के क्लीनिक पर नौकरी की. मेरे जीजा जी ने देहरादून में मेरी शादी की. वह भी एक शरणार्थी परिवार था. हम लोग वहां से बरेली आ गए. मैंने कड़ी मेहनत मजदूरी करके, लोगों के घरों के कपड़े सिलकर अपने परिवार का पालन पोषण किया. मैंने उस कठिन वक्त में भी अपने बेटे को पढ़ा-लिखाकर योग्य बनाया. साल 1988 में मेरे बेटे को जॉब मिली तब हम लोग गोरखपुर आ गए. वाहे गुरु जी की कृपा से, हम उस सदमे से अब बाहर हैं लेकिन वे यादें अब भी सालती हैं. हर स्वतंत्रता दिवस मैं व्यथित हो जाती हूं. 
श्रीमती सुलोचना ने प्राणी उद्यान का भ्रमण कर 7 डी थियेटर में एडवेंचर फिल्म का आनंद भी उठाया. प्रदर्शनी के समापन पर उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के सदस्य सरदार जगनैन सिंह नीटू और गुरुद्वारा जटाशंकर अध्यक्ष जसपाल सिंह ने भी आयोजन की सराहना की. प्राणी उद्यान के पशु चिकित्साधिकारी योगेश प्रताप सिंह, रेंजर राजेश पाण्डेय, हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ. अनिता अग्रवाल, हेरिटेज वारियर्स की संयोजिका मल्लिका मिश्रा ने माल्यार्पण कर अंगवस्त्र प्रदान किया. स्वागत एवं संचालन डॉ. अनिता अग्रवाल ने किया जबकि आभार ज्ञापन डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने किया.
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By गो गोरखपुर

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