GO GORAKHPUR: अपनी उम्र को लेकर हम क्या सोचते हैं? हम अपनी उम्र कितनी मानकर चलते हैं? ऐसे सवालों के जवाब ढूंढते हुए भारत में लोग अक्सर 80 तक की उम्र सोच पाते हैं. लेकिन अब 120 या इससे अधिक 150 साल की उम्र की कल्पना की जा सकती है. 118 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाली बुजुर्ग की मौत ने एक बार फिर इस बहस को जिंदा कर दिया है कि एक स्वस्थ इंसान कितने समय तक जीवित रह सकता है? ये वो सवाल है जिसने लंबे समय तक दुनिया के वैज्ञानिकों को दो गुट में बांट कर रखा.


GO GORAKHPUR: अपनी उम्र को लेकर हम क्या सोचते हैं? हम अपनी उम्र कितनी मानकर चलते हैं? ऐसे सवालों के जवाब ढूंढते हुए भारत में लोग अक्सर 80 तक की उम्र सोच पाते हैं. लेकिन अब 120 या इससे अधिक 150 साल की उम्र की कल्पना की जा सकती है. 118 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहने वाली बुजुर्ग की मौत ने एक बार फिर इस बहस को जिंदा कर दिया है कि एक स्वस्थ इंसान कितने समय तक जीवित रह सकता है? ये वो सवाल है जिसने लंबे समय तक दुनिया के वैज्ञानिकों को दो गुट में बांट कर रखा.

गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, पिछले सप्ताह फ्रेंच नन ल्यूसिल रैंडन के निधन के बाद, 115 वर्षीय स्पेनिश परदादी मारिया ब्रान्यास मोरेरा ने सबसे बुजुर्ग जीवित व्यक्ति का खिताब अपने नाम किया है. 18वीं शताब्दी में, फ्रांसीसी प्रकृतिवादी जॉर्जेस लुईस लेक्लेर, जिन्हें कॉम्टे डी बफन के नाम से जाना जाता है. उन्होंने सिद्धांत दिया था कि एक व्यक्ति जिसे दुर्घटना या बीमारी का सामना नहीं करना पड़ा हो, वह सैद्धांतिक रूप से अधिकतम 100 वर्षों तक जीवित रह सकता है, हालांकि, पिछले कुछ दशकों में मेडिकल के क्षेत्र में हुई प्रगति और रहन- सहन में हुए सुधार की वजह से जीवित रहने की उम्र को बढ़ा दिया है. इस कड़ी में 1995 में एक नया मील का पत्थर जुड़ा जब फांसीसी महिला जीन कैलमेंट ने अपना 120वां जन्मदिन मनाया था. कैलमेंट की दो साल बाद 122 वर्ष की उम्र में मौत हो गई थी. वह अब तक जीवित रहने वाली सबसे बुजुर्ग शख्स हैं, जिनके बारे में आधिकारिक जानकारी है.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2021 में 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के अनुमानित 593,000 लोग थे, जो एक दशक पहले 353,000 थे. स्टेटिस्टा डेटा एजेंसी के अनुसार, अगले दशक में 100 साल से ज्यादा जीवन जीने वाले लोगों की संख्या वर्तमान के मुकाबले दोगुनी से अधिक होने की उम्मीद है. तो हम कितनी दिन तक जी सकते हैं? वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी प्रजातियों का जीवनकाल सख्त जैविक बाधाओं द्वारा सीमित है. 2016 में जर्नल नेचर में लिखने वाले आनुवंशिकीविदों ने कहा कि 1990 के दशक के बाद से मनुष्य के जीवन की उम्र में कोई सुधार नहीं हुआ है.

वैश्विक जनसांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण करते हुए, उन्होंने पाया कि कैलमेंट की मृत्यु के बाद से अधिकतम मानव जीवनकाल में गिरावट आई है, भले ही दुनिया में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा रही हो फांसीसी जनसांख्यिकीविद् जीन मैरी रॉबिन ने एएफपी को बताया, उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि मानव जीवनकाल की प्राकृतिक सीमा होती है और ज्यादा से ज्यादा वो 115 वर्षों तक जी सकते हैं, हालांकि, INSERM चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में विशेषज्ञ रॉबिन ने कहा कि यह परिकल्पना आंशिक रूप से कई जनसांख्यिकी द्वारा विवादित करार दी गई है.

2018 में हुए शोध में पाया गया कि जहां उम्र के साथ मौत की दर बढ़ती है, वहीं 85 के बाद यह धीमी हो जाती है. शोध में कहा गया है कि 107 साल की उम्र के आसपास, मृत्यु दर हर साल 50-60 प्रतिशत पर पहुंच जाती है. यानी अगर 110 वर्ष की आयु के 12 लोग हैं, तो उसमें से छह 111 वर्ष, तीन 112 वर्ष और इसी तरह जीवित रहेंगे, हालांकि, अधिकतम उम्र की कोई लिमिट नहीं है. बुजुर्गों में विशेषज्ञता रखने वाले एक फांसीसी डॉक्टर एरिक बूलेंगर ने कहा कि आनुवंशिक हेरफेर की मदद से कुछ लोगों की उम्र 140 या 150 साल तक हो सकती है.

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By गो गोरखपुर

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