WEB DESK: दुनिया में ऐसी बहुत सी सड़कें हैं, जो किसी न किसी वजह से खास है. जैसे-कोई दुनिया की सबसे लंबी सड़क है, तो कोई दुनिया की सबसे छोटी, तो कोई सबसे चौड़ी. वैसे आम तौर पर सड़क बनाने में ईंट, पत्थर से लेकर सीमेंट और डामर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक ऐसी भी सड़क है, जिसे बनाने में इन चीजों के अलावा इंसानी हड्डियों का भी इस्तेमाल किया गया है? यह जानकर यकीनन आपको हैरानी तो हो रही होगी, लेकिन ये बिल्कुल सच है और इसी वजह से इस सड़क को रोड ऑफ बोन्स यानी हड्डियों की सड़क के नाम से जाना जाता है.
कोलयमा हाइवे


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दुनिया में ऐसी बहुत सी सड़कें हैं, जो किसी न किसी वजह से खास है. जैसे-कोई दुनिया की सबसे लंबी सड़क है, तो कोई दुनिया की सबसे छोटी, तो कोई सबसे चौड़ी. वैसे आम तौर पर सड़क बनाने में ईंट, पत्थर से लेकर सीमेंट और डामर का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया में एक ऐसी भी सड़क है, जिसे बनाने में इन चीजों के अलावा इंसानी हड्डियों का भी इस्तेमाल किया गया है? यह जानकर यकीनन आपको हैरानी तो हो रही होगी, लेकिन ये बिल्कुल सच है और इसी वजह से इस सड़क को रोड ऑफ बोन्स यानी हड्डियों की सड़क के नाम से जाना जाता है.

असल में यह सड़क एक हाइवे है, जो रूस के सुदूरवर्ती पूर्वी इलाके में स्थित है. इसका असली नाम कोलयमा हाइवे है, जो 2,025 किलोमीटर लंबा है. इस हाइवे पर अक्सर इंसानी हड्डियां और कंकाल मिलते रहते हैं. दरअसल, रोड ऑफ बोन्स के नाम से मशहूर इस हाइवे की कहानी दिल दहला देने वाली है. चूंकि ठंड के मौसम में इस इलाके में काफी बर्फ गिरती है, जिससे सड़कें भी ढक जाती हैं. कहा जाता है कि बर्फ की वजह से गाड़ियां सड़क पर न फिसलें, इसलिए सड़क निर्माण में बालू के साथ इंसानी हड्डियों को भी मिलाया गया था. कोलयमा हाइवे को बनाने में ढाई से दस लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी. इसके पीछे की कहानी कुछ इस तरह है कि 1930 के दशक में इस हाइवे का निर्माण शुरू हुआ और इस काम में बंधुआ मजदूरों और कैदियों को लगाया गया. उन्हें कोलयमा कैंप में कैदी बनाकर रखा गया था. कोलयमा कैंप में अगर कोई कैदी एक बार चला जाता था, तो उसका वहां से वापस लौटना नामुमकिन सा हो जाता था. जो लोग यहां से भागने की कोशिश करते थे, वो ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह पाते थे, क्योंकि या तो वो भालुओं का शिकार हो जाते थे या भयंकर ठंड से मर जाते थे या फिर भूख से कहते हैं कि जो कैदी मर जाते थे, उन्हें वहीं सड़क के अंदर ही दफन कर दिया जाता था. इस हाइवे का निर्माण सोवियत संघ के तानाशाह कहे जाने वाले जोसेफ स्टालिन के समय में किया गया था.
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By गो गोरखपुर

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