सियासी लड्डू, मिलावट और जांच
बतकही: बाबू साहब ठहाका लगाते हैं. प्रति प्रश्न करते हैं. भला इतनी सस्ती दर के घी से कौन सा लड्डू बनेगा. आखिर मंदिर प्रशासन को इतने सस्ते दर के घी का इस्तेमाल करने की क्या मजबूरी आन पड़ी है. मंदिर के पास पैसों की कमी तो है नहीं. अपरंपार धनराशि चढ़ावे में आती है.