गोरखपुर के सांसद रवि किशन को 'संसद रत्न पुरस्कार 2025' से सम्मानित किया गया। उत्कृष्ट संसदीय योगदान, प्रश्न पूछने और बहसों में सक्रिय भागीदारी के लिए मिला सम्मान।
गोरखपुर: गोरखपुर से भाजपा सांसद और लोकप्रिय अभिनेता रवि किशन शुक्ला को आज नई दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रतिष्ठित ‘संसद रत्न पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें संसदीय लोकतंत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया।
नया महाराष्ट्र सदन में आयोजित इस गरिमामयी कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू थे, जबकि समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री हंसराज अहीर ने की।
उत्कृष्ट संसदीय प्रदर्शन का सम्मान: रवि किशन को यह सम्मान उनकी प्रभावशाली संसदीय भागीदारी, संसद में पूछे गए प्रश्नों की संख्या, बहसों में उनकी सक्रिय भूमिका और निजी विधेयकों के प्रस्तुतीकरण जैसे ठोस आँकड़ों के आधार पर दिया गया है। 2024-25 सत्र के दौरान उनके प्रदर्शन की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- उन्होंने कुल 123 प्रश्न पूछे।
- 14 प्रमुख बहसों में सक्रिय भागीदारी निभाई।
- 3 निजी विधेयक (Private Member Bills) प्रस्तुत किए।
- लोकसभा में उनकी उपस्थिति दर उच्च रही।
रवि किशन ने सम्मान गोरखपुर की जनता को समर्पित किया: पुरस्कार प्राप्त करने के बाद सांसद रवि किशन ने भावुक होकर कहा, “यह केवल मेरा सम्मान नहीं है, यह गोरखपुर की उस पवित्र मिट्टी की महक है जो अब दिल्ली की फिज़ाओं में भी महसूस की जा रही है। यह पूर्वांचल की जनता की निष्ठा, विश्वास और समर्थन की जीत है।”
उन्होंने इस उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी, गृहमंत्री श्री अमित शाह जी और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी का विशेष आभार व्यक्त किया, जिनके नेतृत्व और मार्गदर्शन ने उन्हें राष्ट्र और क्षेत्र की सेवा में समर्पित रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने Prime Point Foundation और इसके संस्थापक श्री श्रीनिवासन जी का भी हृदय से धन्यवाद किया, जिन्होंने इस गरिमामयी सम्मान की परंपरा को शुरू किया।
गोरखपुर से दिल्ली तक गूंजती आवाज़: सांसद रवि किशन लगातार शिक्षा, युवा रोजगार, पूर्वांचल के विकास, फिल्म उद्योग, सीमा सुरक्षा और डिजिटल भारत जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संसद में पुरज़ोर ढंग से उठाते रहे हैं। संसद के रिकॉर्ड में उनकी उपस्थिति और योगदान उल्लेखनीय रहा है, जो इस पुरस्कार का आधार भी बना।
संसद रत्न पुरस्कार: लोकतंत्र के कर्मवीरों का सम्मान: ‘संसद रत्न पुरस्कारों’ की शुरुआत वर्ष 2010 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के सुझाव पर की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य उन सांसदों को सम्मानित करना है जो सक्रिय, उत्तरदायी और प्रभावी जनप्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहे हैं। चयन प्रक्रिया पूरी तरह से डेटा पर आधारित होती है, जिसमें लोकसभा/राज्यसभा सचिवालय और पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के आँकड़े शामिल होते हैं। इस वर्ष कुल 17 सांसदों और 2 संसदीय समितियों को यह सम्मान प्रदान किया गया।