Gorakhpur: गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में बुधवार को प्रयागराज महाकुंभ पर्व पर एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इस प्रदर्शनी में भारतीय डाक टिकटों के माध्यम से महाकुंभ के इतिहास और महत्व को दर्शाया गया. इस अवसर पर ‘प्रबंधन के गुर, बुद्ध के सुर’ नामक पुस्तक का विमोचन भी किया गया. इसके साथ ही, भारतीय संस्कृति अभिरूचि पाठ्यक्रम के अंतर्गत सात दिवसीय राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला का भी शुभारंभ हुआ.

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टण्डन, माननीय कुलपति, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने किया. विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर एस.के. द्विवेदी, माननीय लोकपाल, जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर उपस्थित रहे.
प्रोफेसर टण्डन ने अपने सम्बोधन में संग्रहालय के प्रयासों की सराहना की और कहा कि यह गोरखपुर के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र बन गया है. संग्रहालय के उप निदेशक डॉ. यशवंत सिंह राठौर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की.

इस व्याख्यान श्रृंखला में 7 विश्वविद्यालयों के लगभग 175 प्रतिभागी और पांच राज्यों के विषय विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं. पहले दिन के मुख्य वक्ता प्रोफेसर एस.के. द्विवेदी ने ‘‘ज्ञान अनुभाग के रूप में संग्रहालय‘‘ विषय पर अपने विचार रखे. उन्होंने संग्रहालयों के इतिहास, विकास और महत्व पर प्रकाश डाला.
प्रोफेसर द्विवेदी ने बताया कि संग्रहालय ज्ञान के भंडार हैं और इनकी शुरुआत प्राचीन यूनान और रोम में हुई थी. उन्होंने संग्रहालयों के विकास में पुनर्जागरण काल के योगदान पर भी चर्चा की. इसके अलावा, उन्होंने भारत में संग्रहालयों के विकास और भारतीय कला, संस्कृति और इतिहास में उनके महत्व को भी रेखांकित किया.
कार्यक्रम में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए. यह राष्ट्रीय व्याख्यान श्रृंखला 18 फरवरी, 2025 तक चलेगी, जिसमें विभिन्न विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यान होंगे.