Last Updated on September 20, 2025 5:13 PM by गो गोरखपुर ब्यूरो
नीट छात्र दीपक इस दुनिया में नहीं है, उसने उन पशु तस्करों का मुकाबला करने में अपनी जान गंवा दी, जिनसे पुलिस को लड़ना था। दीपक के यूं चले जाने की घटना ने कहीं न कहीं खाकी वह सच और नंगा कर दिया है, जो सभी जानते हैं….यानी पुलिस और पशु तस्करों के बीच गहरे मौन संबंधों का शक। यह सच एक बार फिर हत्या, पथराव, आक्रोश, प्रतिशोघ की शक्ल में नंगा हुआ है, लेकिन इस बार ‘खाकी’ अपनी ही नजरों में कुछ सकुचाई हुई है। नीट छात्र दीपक गुप्त की पशु तस्करों द्वारा जघन्य हत्या की वारदात के बाद, जिस तरह से आला अधिकारियों ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए गोरखपुर से कुशीनगर तक पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया है, उससे यह सवाल लाजिमी है कि क्या सच में कुशीनगर और गोरखपुर के कुछ पुलिसकर्मी पशु तस्करों को मौन स्वीकृति देते आ रहे हैं? यह घटना न सिर्फ पशु तस्करों की बेलगाम मनमानी का गवाह बनी, बल्कि इसने स्थानीय पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जंगल धूषण इलाके में हुई इस वारदात के बाद, दीपक गुप्ता के परिजनों और ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस चौकी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जब पशु तस्कर दीपक को अपनी गाड़ी में उठाकर ले गए, तो उन्होंने तुरंत डायल 112 और स्थानीय पुलिस को सूचना दी थी। लेकिन, पुलिस ने तब तक कोई मदद नहीं की जब तक कि मामला बहुत गंभीर नहीं हो गया। ग्रामीणों ने एक पशु तस्कर को पकड़कर बैठा लिया था, लेकिन आरोप है कि पुलिसकर्मी उस तस्कर को बचाने की कोशिश कर रहे थे, बजाए इसके कि वे दीपक की तलाश करते। इस लापरवाही के बाद, जंगल धूषण चौकी प्रभारी समेत पांच पुलिसकर्मियों को तुरंत लाइन हाजिर कर दिया गया था।
दीपक गुप्ता हत्याकांड के बाद पुलिसकर्मियों की संलिप्तता का संदेह और भी गहरा हो गया है। एडीजी अशोक मुथा जैन ने इस रैकेट को तोड़ने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। उन्होंने कुशीनगर के 25 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है। ये सभी पुलिसकर्मी उन चौकियों और नाकों पर तैनात थे, जहां से बिहार के रास्ते कुशीनगर और गोरखपुर के उत्तरी इलाकों में पशु तस्कर बेखौफ आवाजाही करते थे। शासन स्तर पर कुशीनगर के एसपी का तबादला भी इसी वजह से हुआ है, क्योंकि जांच में यह सामने आया कि उन्होंने पशु तस्करी के रैकेट को खत्म करने के लिए अपेक्षित कार्रवाई नहीं की थी।
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इस मामले के बाद, एडीजी मुथा अशोक जैन ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” जैसे विशेष अभियान शुरू किए हैं। इसके तहत, तस्करी के नेटवर्क से जुड़े मददगारों की पहचान की जा रही है और जेल से बाहर आए तस्करों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। डीआईजी डॉ. एस चप्पा ने भी पुष्टि की है कि हाईवे पर लंबे समय से तैनात पुलिसकर्मियों की भूमिका की समीक्षा की जा रही है। एडीजी ने देवरिया, कुशीनगर और महाराजगंज जिलों में प्रमुख मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने और पिकअप चालकों का सत्यापन करने के निर्देश दिए हैं।
गोरखपुर शहर में पहले भी शाहपुर, राप्ती नगर, पादरी बाजार और कूड़ाघाट जैसे इलाकों में रातों को पशु तस्करों की बेखौफ आवाजाही देखी गई है। यह घटना इस बात की पुष्टि करती है कि नाकों और चौकियों पर पुलिस जान बूझकर तस्करों की आवाजाही की अनदेखी करती आ रही है। नीट छात्र दीपक की हत्या के बाद जिस तरह से विभागीय कार्रवाई हो रही है, देखना यह है कि क्या गोरखपुर और कुशीनगर पुलिस अपने दामन पर लगे इस दाग को छुड़ा पाने के लिए गंभीर होती है या नहीं।