मुरादाबाद के असदपुर गांव में आवारा कुत्तों का आतंक जारी है। कुत्तों ने अब तक कई बच्चों को काट कर घायल कर दिया है, जिसमें एक बच्ची आईसीयू में है। ग्रामीण प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। ब्लॉक कुंदरकी के गांव असदपुर में कुत्तों के झुंड ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है। अब तक आधा दर्जन से अधिक लोग इन कुत्तों के हमले में घायल हो चुके हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चे हैं। ताजा घटना में, पांच साल की एक मासूम बच्ची पर कुत्तों ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। इस घटना के बाद से गांव में दहशत का माहौल है और ग्रामीण प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
आवारा कुत्तों ने बच्ची पर किया हमला
असदपुर गांव में आवारा कुत्तों के हमले की सबसे नई घटना पांच साल की बच्ची बुशरा के साथ हुई। कुत्तों के एक झुंड ने बुशरा पर हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया। बताया गया है कि कुत्ते बच्ची को खींचकर ले जा रहे थे, लेकिन किसी तरह उसे बचाया गया। हमले में बच्ची का पूरा चेहरा दांतों और पंजों से लहूलुहान हो गया। उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। बुशरा के अलावा ये कुत्ते चार और बच्चों पर हमला कर चुके हैं।
ग्राम प्रधान का आरोप: अधिकारी नहीं उठा रहे फोन
गांव के लोग और पीड़ितों के परिजन इस समस्या से निजात पाने के लिए अधिकारियों से लगातार संपर्क कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्राम प्रधान पति मुजिबुल हसन ने बताया कि उन्होंने कई बार उच्च अधिकारियों को फोन किया, लेकिन किसी ने उनकी कॉल नहीं उठाई। अंत में, हारकर उन्हें पुलिस को सूचना देनी पड़ी। गांव के ही एक निवासी मोहम्मद इस्लाम ने बताया कि स्थिति इतनी भयावह है कि एक बच्ची आईसीयू में भर्ती है और डर के मारे बच्चे अब घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच-छह दिनों से यह समस्या चल रही है, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है।
बंदरों के आतंक से भी परेशान हैं ग्रामीण
गांव असदपुर में केवल आवारा कुत्तों का ही नहीं, बल्कि बंदरों का भी आतंक है। हाल ही में, बंदरों के डर से भागे एक बच्चे की पिलर के नीचे दबकर मौत हो गई थी। इस दोहरे आतंक से गांव के लोग बेहद परेशान हैं और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ग्रामीण हमला करने वाले कुत्तों को पागल मान रहे हैं, इसलिए उनका रेस्क्यू करना बेहद जरूरी है।