एमएमएमयूटी में ऊर्जा, पर्यावरण और सामग्री विज्ञान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन
Gorakhpur: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 27-28 फरवरी को “सतत विकास के लिए ऊर्जा, पर्यावरण और सामग्री विज्ञान में सीमाएं” विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन रासायनिक अभियांत्रिकी, यांत्रिक अभियांत्रिकी, रसायन एवं पर्यावरण विज्ञान तथा औषधीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभागों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य सतत विकास के लिए ऊर्जा, पर्यावरण और सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधानों और प्रौद्योगिकियों पर चर्चा करना था।
उद्घाटन सत्र: ऊर्जा और पर्यावरण के लिए एक वैश्विक दृष्टिकोण
सम्मेलन का उद्घाटन माननीय कुलपति प्रो. जय प्रकाश सैनी ने किया। उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में ऊर्जा को एक वैश्विक चिंता का विषय बताया और 2070 तक कार्बन-न्यूट्रल देश बनने के लक्ष्य की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राजा रमन्ना एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, इंदौर के वैज्ञानिक डॉ. एम. के. तिवारी ने पर्यावरण में मौजूद महत्वपूर्ण तत्वों के विश्लेषण के लिए एक्स-रे फ्लोरेसेंस तकनीक के बारे में बताया। उनकी टीम ने जल में नैनो-स्तर के तत्वों का विश्लेषण करने के लिए नवीन प्रौद्योगिकी विकसित की है। टीम महाकुंभ में जल गुणवत्ता की नियमित निगरानी करती है। उनकी प्रयोगशाला की विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, जल स्नान एवं अन्य उपयोगों के लिए उपयुक्त है। इसमें धातुओं की उच्च सांद्रता नहीं पाई गई है। पानी का रंग कीचड़ की उपस्थिति के कारण बदला हुआ दिखता है, लेकिन यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है।
तकनीकी सत्र: नवीन अनुसंधान और विशेषज्ञ वार्ता
सम्मेलन में कुल 145 उच्च-स्तरीय शोध पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 108 को मौखिक प्रस्तुति के लिए चयनित किया गया। दो दिनों में आठ तकनीकी सत्रों में शोध पत्रों की मौखिक प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर अपने विचार साझा किए। प्रो. जिन-ऊक बैग (कोरिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, दक्षिण कोरिया) ने विभिन्न रासायनिक उत्पादों के लिए सौर ऊर्जा के दोहन पर चर्चा की और कृत्रिम प्रकाशसंश्लेषण (आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस) की अवधारणा पर आधारित नवीन सौर पैनल डिज़ाइन करने की आवश्यकता बताई। डॉ. बी. एन. पांडे (प्रमुख, विकिरण एवं कैंसर जीवविज्ञान अनुभाग, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई) ने कैंसर उपचार के लिए चुम्बकीय नैनोकणों के अनुप्रयोगों पर प्रस्तुति दी और नैनोकणों की गहरी समझ विकसित करने पर जोर दिया। अजय कुमार (वरिष्ठ परियोजना अधिकारी-II, उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण, लखनऊ) ने उत्तर प्रदेश सरकार की सौर ऊर्जा, जैव ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन नीतियों की जानकारी दी और युवा इनोवेटर्स को सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।
समापन सत्र: सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियों का पुरस्कार और भविष्य की दिशा
सम्मेलन के दूसरे दिन भी चार तकनीकी सत्र और चार विशेषज्ञ वार्ताएं आयोजित की गईं, जिनमें डॉ. विक्रांत यादव (यामाची विश्वविद्यालय, जापान), डॉ. जीत शर्मा (रॉयल मेलबोर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, ऑस्ट्रेलिया), डॉ. राजेश वी. पाई (प्रमुख, ईंधन रसायन अनुभाग, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई) और प्रो. संदीप कुमार (प्रमुख, यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग, आईआईटी बीएचयू, वाराणसी) ने अपने विचार प्रस्तुत किए। सम्मेलन के समापन सत्र में प्रत्येक तकनीकी सत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतकर्ताओं को पुरस्कृत किया गया।
आयोजन और सहभागिता: एक सफल सम्मेलन
सम्मेलन अध्यक्ष प्रो. विट्ठल एल. गोले (विभागाध्यक्ष, रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग), प्रो. संजय मिश्रा (विभागाध्यक्ष, यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग), और प्रो. पी. पी. पांडे (विभागाध्यक्ष, रसायन एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग) थे। सम्मेलन के संयोजक प्रो. राजेश के. यादव (रसायन एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग) और सचिव मंडल में डॉ. रवि शंकर, डॉ. राम बी. प्रसाद, डॉ. प्रतीक खरे और डॉ. स्मृति ओझा शामिल थे। इस सम्मेलन ने शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्योग पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया और हरित भविष्य के लिए टिकाऊ तकनीकी प्रगति में योगदान दिया।