गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन हाईवे: पुल को बचाने के लिए अंतिम उपाय
Gorakhpur: गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन हाईवे के बड़हलगंज-नई बाजार पुल को सुरक्षित रखने के लिए सरयू नदी की धारा को सीधा करना आवश्यक हो गया है। विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किए गए निरीक्षण के बाद यह सुझाव दिया गया कि नदी की ड्रेजिंग (खोदाई) के साथ-साथ पुल के एप्रोच (संपर्क मार्ग) के पास बोल्डर पिचिंग कराई जाए, ताकि कटान को रोका जा सके। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की दिल्ली से आई विशेषज्ञ समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है और इसे अब सिंचाई विभाग को भेजा जाएगा ताकि आवश्यक कार्यवाही शुरू की जा सके।
गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन पर बड़हलगंज से मऊ जनपद के नई बाजार (दोहरीघाट) तक 12 किमी लंबा बाईपास बनाया गया है। इस मार्ग पर सरयू नदी पर 1250 मीटर लंबा पुल स्थित है। हाल ही में सरयू नदी की धारा अचानक बड़हलगंज की ओर मुड़ने लगी, जिससे पुल के छठें पिलर के पास जल प्रवाह बढ़ गया। पानी पुल के एप्रोच के काफी करीब आ गया, जिससे यह आशंका बढ़ गई कि यदि यही स्थिति बनी रही तो बाढ़ के समय पुल को नुकसान हो सकता है।
यह हें खतरे की मुख्य वजहें
- नदी की धारा में बदलाव: 15 दिन पहले नदी की धारा अचानक बड़हलगंज की ओर मुड़ गई।
- पानी का दबाव बढ़ना: पुल के छठें पिलर के पास पानी का बहाव तेज होने लगा।
- बालू का जमाव: नदी के बीच में बालू का टीला बनने लगा, जिससे जल प्रवाह असंतुलित हो गया।
- कटान का खतरा: यदि जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो पुल के संपर्क मार्ग के आसपास मिट्टी का कटान तेज हो सकता है।
NHAI की विशेषज्ञ समिति द्वारा सुझाए गए उपाय
NHAI की विशेषज्ञ समिति ने जो सुझाव दिए उनके अनुसार, नदी की ड्रेजिंग (खोदाई) की जाएगी, ताकि पानी का बहाव सीधा हो और पुल को नुकसान से बचाया जा सके। पुल के एप्रोच के चारों ओर बोल्डर पिचिंग कराई जाएगी, जिससे नदी का पानी संपर्क मार्ग को नुकसान न पहुंचा सके। सिंचाई विभाग को प्रस्ताव भेजा जाएगा, क्योंकि यह कार्य उनके द्वारा ही किया जा सकता है।
एनएचएआई दिल्ली हेडक्वार्टर के अधिकारी एके श्रीवास्तव, परियोजना निदेशक ललित प्रताप पाल, कंसलटेंट डॉ. अनिल कुमार, और जेपी ग्रुप के विकास एवं राजीव शर्मा की टीम ने बड़हलगंज पुल का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण में यह पाया गया कि पुल के एप्रोच के पास बोल्डर पिचिंग नहीं हुई है, जबकि बाढ़ के दौरान यह क्षेत्र पूरी तरह जलमग्न हो जाता है। यदि नदी का बहाव इसी दिशा में जारी रहता है, तो पुल के संपर्क मार्ग के कटने की आशंका प्रबल हो जाती है।
कम्हरिया घाट: 200 करोड़ की लागत से बचाव कार्य जारी
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। इसी तरह की समस्या लिंक एक्सप्रेसवे के कम्हरिया घाट पुल पर भी उत्पन्न हुई थी। गोरखपुर-संतकबीरनगर जिले की सीमा पर स्थित इस पुल के पास सरयू नदी की धारा मुड़ गई थी, जिससे पुल को नुकसान होने का खतरा बढ़ गया था। इसी तर्ज पर अब बड़हलगंज पुल को बचाने के लिए भी इसी प्रकार की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
ललित पाल, परियोजना निदेशक, एनएचएआई के अनुसार, गोरखपुर-वाराणसी नेशनल हाईवे के बड़हलगंज बाईपास पुल को सुरक्षित रखने के लिए सरयू नदी की धारा को सीधा करना अनिवार्य है। विशेषज्ञ समिति ने इसका सुझाव दिया है। इसके अलावा, पुल के एप्रोच के पास बोल्डर पिचिंग भी आवश्यक है। यह कार्य सिंचाई विभाग द्वारा किया जाएगा, और इसके लिए जल्द ही उन्हें प्रस्ताव भेजा जाएगा।